स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक
देवभूमि भारत तपस्वियों की तपोभूमि और चामत्कारिक स्थल माना जाता है। जिस समय पृथ्वी पर देवी-देवता निवास करते थे, उस समय देवताओं के सान्निध्य में ऐसे स्थलों की खोज की गई, जो पृथ्वी के किसी न किसी रहस्य से जुड़े हुए थे अथवा जिनका सम्बन्ध दूर स्थित आकाशगंगा से था। इसी के चलते सहस्रों मन्दिर निर्मित हो गए, जिन्हें देखकर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है। प्रत्येक मन्दिर से जुड़ी एक कहानी है, जिस पर लोग आस्था रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मन्दिर झारखण्ड के रामगढ़ नामक स्थान पर स्थित है, जहाँ शिवलिंग पर स्वतः ही जलाभिषेक होता है।
झारखण्ड को भगवान् श्रीराम के युग में दण्डकारण्य क्षेत्र कहा जाता था। यह उस समय में तपस्वियों की तपोभूमि कहा जाता था। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में ऋषि-मुनियों के आश्रम थे, जहाँ देवगण आते रहते थे।
इस प्राचीन शिव मन्दिर को टूटी झरना के नाम से जाना जाता है। मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर स्वतः ही 24 घण्टे जलाभिषेक होता रहता है। इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है और यहाँ श्रद्धालु आते हैं।
मान्यता है कि यह जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं गंगा माँ अपनी हथेलियों से करती हैं। दरअसल, इस शिवलिंग के ऊपर गंगा माँ की प्रतिमा स्थापित है, जिनकी नाभि से स्वतः ही पानी की धारा उनकी हथेलियों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। आज भी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इस पानी का स्रोत कहाँ है?
टूटी झरना को लेकर किंवदन्ती है कि वर्षों पूर्व यहाँ रेलवे लाइन बिछाने के दौरान इस मन्दिर के बारे में लोगों को जानकारी मिली थी। पानी के लिए यहाँ खुदाई के दौरान कुछ चीजें दिखाई दीं। खुदाई के दौरान वहाँ अंग्रेज अधिकारी भी उपस्थित थे। जब खुदाई पूर्ण हुई, तो जमीन में एक शिवलिंग ऩजर आया। साथ ही माँ गंगा की प्रतिमा भी मिली, जिससे स्वतः ही जल शिवलिंग पर गिर रहा था। इस चमत्कार को देखकर अंग्रेजों की भी आँखें फटी रह गई थीं।
देवभूमि भारत तपस्वियों की तपोभूमि और चामत्कारिक स्थल माना जाता है। जिस समय पृथ्वी पर देवी-देवता निवास करते थे, उस समय देवताओं के सान्निध्य में ऐसे स्थलों की खोज की गई, जो पृथ्वी के किसी न किसी रहस्य से जुड़े हुए थे अथवा जिनका सम्बन्ध दूर स्थित आकाशगंगा से था। इसी के चलते सहस्रों मन्दिर निर्मित हो गए, जिन्हें देखकर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है। प्रत्येक मन्दिर से जुड़ी एक कहानी है, जिस पर लोग आस्था रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मन्दिर झारखण्ड के रामगढ़ नामक स्थान पर स्थित है, जहाँ शिवलिंग पर स्वतः ही जलाभिषेक होता है।
झारखण्ड को भगवान् श्रीराम के युग में दण्डकारण्य क्षेत्र कहा जाता था। यह उस समय में तपस्वियों की तपोभूमि कहा जाता था। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में ऋषि-मुनियों के आश्रम थे, जहाँ देवगण आते रहते थे।
इस प्राचीन शिव मन्दिर को टूटी झरना के नाम से जाना जाता है। मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर स्वतः ही 24 घण्टे जलाभिषेक होता रहता है। इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है और यहाँ श्रद्धालु आते हैं।
मान्यता है कि यह जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं गंगा माँ अपनी हथेलियों से करती हैं। दरअसल, इस शिवलिंग के ऊपर गंगा माँ की प्रतिमा स्थापित है, जिनकी नाभि से स्वतः ही पानी की धारा उनकी हथेलियों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। आज भी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इस पानी का स्रोत कहाँ है?
टूटी झरना को लेकर किंवदन्ती है कि वर्षों पूर्व यहाँ रेलवे लाइन बिछाने के दौरान इस मन्दिर के बारे में लोगों को जानकारी मिली थी। पानी के लिए यहाँ खुदाई के दौरान कुछ चीजें दिखाई दीं। खुदाई के दौरान वहाँ अंग्रेज अधिकारी भी उपस्थित थे। जब खुदाई पूर्ण हुई, तो जमीन में एक शिवलिंग ऩजर आया। साथ ही माँ गंगा की प्रतिमा भी मिली, जिससे स्वतः ही जल शिवलिंग पर गिर रहा था। इस चमत्कार को देखकर अंग्रेजों की भी आँखें फटी रह गई थीं।
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