शीला दीक्षित को हल्का नहीं लेना चाहिए!
आखिर लम्बी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर दिया। इससे पहले राजबब्बर को अध्यक्ष बनाया गया। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस इन चुनावों को लेकर अधिक गम्भीर है। वस्तुतः यह उसके अस्तित्व की लड़ाई का प्रश्न है। शीला दीक्षित को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाऍं आ रही हैं, परन्तु उनकी ग्रहदशा को देखते हुए उन्हें हल्का लेना राजनीतिक दलों के लिए भूल होगी। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी दशाऍं राजनीतिक उपलब्धियों की दृष्टि से बेहतर हैं। शीला दीक्षित की कर्क लग्न की जन्मपत्रिका में दशम भाव में पंचमेश-दशमेश मंगल, चतुर्थेश-एकादशेश शुक्र तथा तृतीयेश-द्वादशेश बुध की युति है। चुनावों के दौरान राहु में गुरु में बुध की प्रत्यन्तर्दशा रहेगी। बुध केतु के नक्षत्र एवं मंगल के उपनक्षत्र में दशम भाव में स्थित है। निरयण भावचलित में केतु एकादश भाव में तथा मंगल दशमभाव में स्थित है। इस प्रकार दशाऍं बेहतर हैं। शीला दीक्षित की ये बेहतर दशाऍं यूपी में मृतप्राय कांग्रेस को कितना जीवित कर पाती हैं, यह देखने की बात होगी, फिर भी इतना जरूर कहना चाहेंगे कि शीला दीक्षित को हल्का नहीं लेना चाहिए।
यह भी उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2016 तक का समय उनके लिए बहुत अच्छा नहीं है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप, जॉंच एजेन्सी की समस्याऍं आदि रहेंगी। स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
आखिर लम्बी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर दिया। इससे पहले राजबब्बर को अध्यक्ष बनाया गया। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस इन चुनावों को लेकर अधिक गम्भीर है। वस्तुतः यह उसके अस्तित्व की लड़ाई का प्रश्न है। शीला दीक्षित को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाऍं आ रही हैं, परन्तु उनकी ग्रहदशा को देखते हुए उन्हें हल्का लेना राजनीतिक दलों के लिए भूल होगी। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी दशाऍं राजनीतिक उपलब्धियों की दृष्टि से बेहतर हैं। शीला दीक्षित की कर्क लग्न की जन्मपत्रिका में दशम भाव में पंचमेश-दशमेश मंगल, चतुर्थेश-एकादशेश शुक्र तथा तृतीयेश-द्वादशेश बुध की युति है। चुनावों के दौरान राहु में गुरु में बुध की प्रत्यन्तर्दशा रहेगी। बुध केतु के नक्षत्र एवं मंगल के उपनक्षत्र में दशम भाव में स्थित है। निरयण भावचलित में केतु एकादश भाव में तथा मंगल दशमभाव में स्थित है। इस प्रकार दशाऍं बेहतर हैं। शीला दीक्षित की ये बेहतर दशाऍं यूपी में मृतप्राय कांग्रेस को कितना जीवित कर पाती हैं, यह देखने की बात होगी, फिर भी इतना जरूर कहना चाहेंगे कि शीला दीक्षित को हल्का नहीं लेना चाहिए।
यह भी उल्लेखनीय है कि अक्टूबर, 2016 तक का समय उनके लिए बहुत अच्छा नहीं है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप, जॉंच एजेन्सी की समस्याऍं आदि रहेंगी। स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।
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