बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी ...
भारतीय सिनेमा की सबसे महान् अभिनेत्री मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम ज़हां देहलवी था। उनका जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में एक पठान परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की पॉंचवीं सन्तान थीं। उनके पिता अताउल्ला खां पेशावर की एक तम्बाकू कम्पनी में काम करते थे। उनकी माता बेगम आयीशा घरेलू महिला थीं। उनके कुल 11 सन्तानें हुई।
मधुबाला का जब जन्म हुआ, तब उनका भविष्य कश्मीर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नजूमी (ज्योतिर्विद्) ने कुछ इस प्रकार बताया ''बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी, बहुत पैसा और शोहरत पाएगी, लेकिन ...'' बाबा कुछ देर तक रुके और फिर उन्होंने आगे कहा कि ''यह लड़की अपनी आयु से पहले चल बसेगी।'' यह भविष्यवाणी पूर्णतः सत्य सिद्ध हुई।
दिल्ली से इनके पिता बम्बई आ गए। वहॉं भी गरीबी के माहौल में रहना पड़ा। सन् 1942 में बेबी मुमताज के नाम से उनका 'बसन्त' फिल्म से फिल्मों में आगाज़ हुआ। कहते हैं कि देविका रानी को उनका काम बहुत पसन्द आया और उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया। उनकी मुख्य भूमिका में पहली फिल्म सन् 1947 में नीलकमल आयी। उसके बाद उन्हें सिनेमा की 'सौन्दर्य देवी' के नाम से जाना जाने लगा। महल, चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आज़म, हॉफ टिकिट आदि उनकी यादगार फिल्में हैं। सन् 1960 में जब मुगल-ए-आज़म आयी, तो वे शोहरत, पैसा एवं सफलता के चरम पर थीं। सन् 1960 में ही उन्होंने किशोर कुमार के साथ विवाह किया।
मधुबाला को हृदयरोग था, उनके हृदय में छेद था। उनका शरीर खून ज्यादा बनाने लगा और वो नाक एवं मुंह से निकलने लग जाता था, इसलिए डॉक्टर अतिरिक्त खून को निकालते थे। सन् 1960 के बाद उनकी हालत और खराब होने लगी। सन् 1966 में उन्हें कुछ सुधार महसूस होने लगा, तो उन्होंने अधूरी पड़ी फिल्म को करने का प्रयास किया, परन्तु नहीं कर पायीं। सन् 1969 में मधुबाला ने निर्देशन में कदम बढ़ाने का विचार किया, परन्तु 23 फरवरी, 1969 को 36 वर्ष की अवस्था में उनका देहान्त हो गया।
भारतीय सिनेमा की सबसे महान् अभिनेत्री मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम ज़हां देहलवी था। उनका जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में एक पठान परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की पॉंचवीं सन्तान थीं। उनके पिता अताउल्ला खां पेशावर की एक तम्बाकू कम्पनी में काम करते थे। उनकी माता बेगम आयीशा घरेलू महिला थीं। उनके कुल 11 सन्तानें हुई।
मधुबाला का जब जन्म हुआ, तब उनका भविष्य कश्मीर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नजूमी (ज्योतिर्विद्) ने कुछ इस प्रकार बताया ''बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी, बहुत पैसा और शोहरत पाएगी, लेकिन ...'' बाबा कुछ देर तक रुके और फिर उन्होंने आगे कहा कि ''यह लड़की अपनी आयु से पहले चल बसेगी।'' यह भविष्यवाणी पूर्णतः सत्य सिद्ध हुई।
दिल्ली से इनके पिता बम्बई आ गए। वहॉं भी गरीबी के माहौल में रहना पड़ा। सन् 1942 में बेबी मुमताज के नाम से उनका 'बसन्त' फिल्म से फिल्मों में आगाज़ हुआ। कहते हैं कि देविका रानी को उनका काम बहुत पसन्द आया और उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया। उनकी मुख्य भूमिका में पहली फिल्म सन् 1947 में नीलकमल आयी। उसके बाद उन्हें सिनेमा की 'सौन्दर्य देवी' के नाम से जाना जाने लगा। महल, चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आज़म, हॉफ टिकिट आदि उनकी यादगार फिल्में हैं। सन् 1960 में जब मुगल-ए-आज़म आयी, तो वे शोहरत, पैसा एवं सफलता के चरम पर थीं। सन् 1960 में ही उन्होंने किशोर कुमार के साथ विवाह किया।
मधुबाला को हृदयरोग था, उनके हृदय में छेद था। उनका शरीर खून ज्यादा बनाने लगा और वो नाक एवं मुंह से निकलने लग जाता था, इसलिए डॉक्टर अतिरिक्त खून को निकालते थे। सन् 1960 के बाद उनकी हालत और खराब होने लगी। सन् 1966 में उन्हें कुछ सुधार महसूस होने लगा, तो उन्होंने अधूरी पड़ी फिल्म को करने का प्रयास किया, परन्तु नहीं कर पायीं। सन् 1969 में मधुबाला ने निर्देशन में कदम बढ़ाने का विचार किया, परन्तु 23 फरवरी, 1969 को 36 वर्ष की अवस्था में उनका देहान्त हो गया।
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