Friday, 29 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 30/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : एकादशी 08:34 तक तदुपरान्त द्वादशी; नक्षत्र : मृगशिरा 27:56 तक तदुपरान्त आर्द्रा; योग : ध्रुव 10:48 तक तदुपरान्त व्याघात; करण : बालव 08:34 तक तदुपरान्त कौलव 19:31; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:45 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:10 बजे।

व्रत-पर्व : कामिका एकादशी व्रत (सभी का), द्विपुष्करयोग 08:34 से 27:56 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : वृषभ में (16:34) बजे तक तदुपरान्त मिथुन; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास (08:34) तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 28 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 29/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : दशमी 10:47 तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : कृत्तिका 06:41 तक तदुपरान्त रोहिणी 29:14; योग : वृद्धि 13:38 तक तदुपरान्त ध्रुव; करण : विष्टि 10:47 तक तदुपरान्त बव 21:40; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:44 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:11 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 10:47 तक (निवास : स्वर्ग), रोहिणी व्रत (जैन धर्म), कुमारयोग 06:41 से 29:14 तक, यूरेनस वक्री 26:35 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : वृषभ; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा 10:47 तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 27 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 28/07/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : नवमी 13:04 तक तदुपरान्त दशमी; नक्षत्र : भरणी 08:11 तक तदुपरान्त कृत्तिका; योग : गण्ड 16:33 तक तदुपरान्त वृद्धि; करण : गर 13:04 तक तदुपरान्त वणिज 23:55; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:44 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:11 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 23:55 से (निवास : स्वर्ग), गुरु हरकिशन जयन्ती (प्राचीन मत से)।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मेष में (13:48) बजे तक तदुपरान्त वृषभ; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : सभा (13:04) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 26 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 27/07/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : अष्टमी 15:22 तक तदुपरान्त नवमी; नक्षत्र : अश्विनी 09:40 तक तदुपरान्त भरणी; योग : शूल 19:28 तक तदुपरान्त गण्ड; करण : कौलव 15:22 तक तदुपरान्त तैतिल 26:13; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:43 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:12 बजे।

व्रत-पर्व : बुध सिंह एवं मघा में 07:11 बजे ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (15:22) तक तदुपरान्त सभा।
                                            बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी ... 





भारतीय सिनेमा की सबसे महान् अभिनेत्री मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम ज़हां देहलवी था। उनका जन्‍म 14 फरवरी, 1933 को दिल्‍ली में एक पठान परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की पॉंचवीं  सन्‍तान थीं। उनके पिता अताउल्ला खां पेशावर की एक तम्‍बाकू कम्‍पनी में  काम करते थे। उनकी माता बेगम आयीशा घरेलू महिला थीं। उनके कुल 11 सन्‍तानें हुई।
मधुबाला का जब जन्‍म हुआ, तब उनका भविष्‍य कश्‍मीर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नजूमी (ज्‍योतिर्विद्) ने कुछ इस प्रकार बताया ''बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी, बहुत पैसा और शोहरत पाएगी, ल‍ेकिन ...'' बाबा कुछ देर तक रुके और फिर उन्‍होंने आगे कहा कि ''यह लड़की अपनी आयु से पहले चल बसेगी।'' यह भविष्‍यवाणी पूर्णतः सत्‍य सि‍द्ध हुई।
दिल्‍ली से इनके पिता बम्‍बई आ गए। वहॉं भी गरीबी के माहौल में रहना पड़ा। सन् 1942 में बेबी मुमताज के नाम से उनका 'बसन्‍त' फिल्‍म से फिल्‍मों में आगाज़ हुआ। कहते हैं कि देविका रानी को उनका काम बहुत पसन्‍द आया और उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया। उनकी मुख्‍य भूमिका में पहली फिल्‍म सन् 1947 में नीलकमल आयी। उसके बाद उन्‍हें सिनेमा की 'सौन्‍दर्य देवी' के नाम से जाना जाने लगा। महल, चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आज़म, हॉफ टिकिट  आदि उनकी यादगार फिल्‍में हैं। सन् 1960 में जब मुगल-ए-आज़म आयी, तो वे शोहरत, पैसा एवं सफलता के चरम पर थीं। सन् 1960 में ही उन्‍होंने किशोर कुमार के साथ विवाह किया।
मधुबाला को हृदयरोग था, उनके हृदय में छेद था। उनका शरीर खून ज्‍यादा बनाने लगा और वो नाक एवं मुंह से निकलने लग जाता था, इसलिए डॉक्‍टर अतिरिक्‍त खून को निकालते थे। सन् 1960 के बाद उनकी हालत और खराब होने लगी। सन् 1966 में उन्‍हें कुछ सुधार महसूस होने लगा, तो उन्‍होंने अधूरी पड़ी फिल्‍म को करने का प्रयास किया, परन्‍तु नहीं कर पायीं। सन् 1969 में मधुबाला ने निर्देशन में कदम बढ़ाने का विचार किया, परन्‍तु 23 फरवरी, 1969 को 36 वर्ष की अवस्‍था में उनका देहान्‍त हो गया।

Monday, 25 July 2016

                                                   'कबाली' को मिली अपार सफलता

 शुक्रवार को देश के अनेक सिनेमाघरों में सुबह 02:00 बजे से ही अपार भीड थी। 300 रुपए का टिकट 3000 रुपए में बिक रहा था। लोग लंदन, अमेरिका, मलेशिया, इण्‍डोनेशिया पता नहीं किस-किस देश से भारत के सिनेमाघरों में पहला शो देखने के लिए आ रहे थे। कहते हैं कि एयरलाइन्‍स ने भी किराया बढ़ा  दिया था। अमूमन पहला शो दोपहर 12:00 बजे से चालू होता है, परन्‍तु 22 जुलाई को पहला शो सुबह 2-3 बजे ही चालू हो गया। सिनेमाघरों में उत्‍सव का माहौल था।
यह नजारा 22 जुलाई को रिलीज हुई रजनीकान्‍त की 'कबाली' के लिए था। इस फिल्‍म की एक दिन की कमाई ने सारे रिकॉर्ड तोड दिए। वहीं दूसरी ओर रजनीकान्‍त अपनी फिल्‍म का स्‍वयं प्रमोशन नहीं करते। आजकल उत्तर भारत के सभी अभिनेता चाहे वे अमिताभ बच्‍चन हों अथवा सलमान या आमिर हों, सभी अपनी-अपनी फिल्‍मों का प्रमोशन न केवल विभिन्‍न शहरों में जाकर वरन् टेलीविजन आदि पर करते हैं। फिल्‍म का प्रमोशन न करते हुए भी कबाली की सफलता का राज़ रजनीकान्‍त के स्‍टारडम में ही है। पिछले तीन दिनों से सिनेमाहॉलों पर लोग रजनीकान्‍त के कटआउट या पोस्‍टर पर फूल चढा रहे हैं। ढोल-नगाडे बजा रहे हैं। कुछ तो उस पर दूध से स्‍नान करवा रहे थे। ऐसा स्‍टारडम देश-विदेश में किसी का नहीं है। जानकार मानते हैं कि रजनीकान्‍त जैसा स्‍टारडम न पहले कभी हुआ और न आगे कभी होगा।
रजनीकान्‍त वर्तमान में शनि महादशा में गुरु की अन्‍तर्दशा में बुध की प्रत्‍यन्‍तर्दशा के प्रभाव में हैं। बुध उनकी जन्‍मकुण्‍डली में एकादशेश धनेश होकर पंचम भाव में शुक्र के साथ स्थित है। इस प्रकार प्रत्‍यन्‍तर्दशानाथ बुध सफलता एवं आय प्राप्ति का कारक बन रहा है। अपार सफलता नक्षत्रेश शुक्र के साथ प्रत्‍यन्‍तर्दशानाथ बुध की युति के कारण है, क्‍योंकि शुक्र लग्‍न एवं पंचम भाव का नक्षत्रेश है और पंचम भाव में ही स्थित है। दोनों एकादश भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं।
                                                     सितारा क्रिकेटर रविचन्‍द्रन अश्विन

एंटिगुआ में वेस्‍टइंडीज को एक पारी और 92 रन से टेस्‍ट के चौथे दिन ही हराने में मुख्‍य हीरो रहे रविचन्‍द्रन अश्विन ने अपना आलराउंड प्रदर्शन दिखाते हुए पहली पारी में शतक और दूसरी पारी में सात विकेट झटक कर एक ओर भारत की एशिया के बाहर सबसे बड़ी जीत की इबारत लिख दी, वहीं दूसरी ओर वेस्‍टइंडीज में सफलतम भारतीय गेंदबाज भी बन गए। अश्विन भारत के एक मात्र गेंदबाज हैं, जिन्‍होंने किसी मैच में सात विकेट लिए हों और शतक भी जड़ा हो। इस प्रकार के कारनामे करने वाले वे विश्‍व के तीसरे खिलाड़ी हैं। जैक ग्रेगरी और इयान बाथम ने यह कारनामा इनसे पहले किया था। वेस्‍टइंडीज के खिलाफ यह उनकी तीसरी सेंच्‍युरी थी।
सन् 2011-2012 के सत्र में रविचन्‍द्रन अश्विन ने जब टेस्‍ट क्रिकेट का आगाज़ किया था, तब ''ज्‍योतिष सागर'' ने इन्‍हें ''सितारा क्रिकेटर'' की संज्ञा दी थी। पिछले पॉंच वर्षों में उनका प्रदर्शन सितारा क्रिकेटर की भॉंति ही रहा है। टेस्‍ट क्रिकेट में ये विश्‍व के पहली वरीयता प्राप्‍त ऑलराउंडर हैं।
रविचन्‍द्रन अश्विन की कुण्‍डली में चन्‍द्र-गुरु की युति श्रेष्‍ठ गजकेसरीयोग बना रही है, वहीं उच्‍चराशिस्‍थ बुध सूर्य से युत होकर बुधादित्‍य योग का निर्माण कर रहा है। चन्‍द्रमा से तृतीय-दशम भाव का स्‍वामी मंगल एकादश भाव में स्थित होकर खेलों में सफलता को सुनिश्चित कर रहा है, वहीं भाग्‍य भाव का स्‍वामी शुक्र भाग्‍य भाव में स्‍वराशिस्‍थ है और कालसर्प के दुष्‍प्रभाव को काफी हद तक दूर कर रहा है।

दैनिक पंचांग : दिनांक 26/07/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : सप्तमी 17:36 तक तदुपरान्त अष्टमी; नक्षत्र : रेवती 11:06 तक तदुपरान्त अश्विनी; योग : धृति 22:22 तक तदुपरान्त शूल; करण : विष्टि 06:42 तक तदुपरान्त बव 17:36 तक तदुपरान्त बालव 28:30; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:43 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:12 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक 11:06 बजे तक, भद्रा 06:42 तक (निवास : पृथ्वी), मंगलागौरी पूजा, कालाष्टमी, शीतला सप्तमी (ओडिशा), केर पूजा (त्रिपुरा), रवियोग 11:06 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 11:06 से आगामी सूर्योदय तक, अमृतसिद्धियोग 17:36 से आगामी सूर्योदय तक, मंगल अनुराधा में 11:42 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन में (11:06) बजे तक तदुपरान्त मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : श्मशान (17:36) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Saturday, 23 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 25/07/2016 सोमवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : षष्ठी 19:46 तक तदुपरान्त सप्तमी; नक्षत्र : उ.भा. 12:26 तक तदुपरान्त रेवती; योग : सुकर्मा 25:11 तक तदुपरान्त धृति; करण : गर 08:47 तक तदुपरान्त वणिज 19:46; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:42 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:13 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 19:46 से (निवास : पृथ्वी), प्रथम श्रावण वन सोमवार व्रत, रवियोग 12:26 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, आग्नेय।

शिववास : ज्ञानवेला (19:46) तक तदुपरान्त श्मशान।
दैनिक पंचांग : दिनांक 24/07/2016 रविवार, 
 विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : पंचमी 21:47 तक तदुपरान्त षष्ठी; नक्षत्र : पू.भा.13:37 तक तदुपरान्त उ.भा.; योग : शोभन 06:29 तक तदुपरान्त अतिगण्ड 27:54 तक तदुपरान्त सुकर्मा; करण : कौलव 10:44 तक तदुपरान्त तैतिल 21:47; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:42 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:13 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, नागपंचमी (राजस्थान, बंगाल आदि में), सर्वार्थसिद्धियोग 13:37 से आगामी सूर्योदय तक, गुरु उ.फा. में 20:36 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ में (07:53) मीन; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : वृषारुढ (21:47) तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Friday, 22 July 2016

                                               बिम्बिसार की मृत्‍यु की वह भविष्‍यवाणी  


इतिहास में ज्‍योतिष की अनेक भविष्‍यवाणियों का उल्‍लेख मिलता है, जो कि आश्‍चर्यजनक रूप से सत्‍य हुईं। उनसे एक ओर जहॉं ज्‍योतिर्विदों की महानता की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर भारत में ज्‍योतिष के विकसित स्‍वरूप के साक्ष्‍यों का भी पता लगता है। ऐसी ही एक प्रसिद्ध भविष्‍यवाणी बिम्बिसार के सम्‍बन्‍ध में की गई थी। बिम्बिसार 544 ईस्‍वीपूर्व से 493 ईस्‍वीपूर्व तक मगध का राजा था। वह हर्यक वंश का संस्‍थापक एवं शक्तिशाली शासक था। उसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया और मगध को एक साम्राज्‍य के रूप में विकसित किया, इसलिए उसे मगध साम्राज्‍य का वास्तविक संस्‍थापक माना जाता है। बिम्बिसार 15 वर्ष की आयु में ही राजा बन गया था और उसने लगभग 52 वर्ष राज्‍य किया।
बिम्बिसार की पत्‍नी महाकोशला जब गर्भवती हुई, तो बिम्बिसार बड़ा प्रसन्‍न हुआ। उसने अपने पुत्र के बारे में कई तरह के सपने देखना शुरू कर दिया। इसी बीच उसे एक युद्ध अभियान में जाना पड़ा। उसके पीछे से महाकोशला ने एक शिशु को जन्‍म दिया। उस शिशु के बारे में यह भविष्‍यवाणी की गई कि वह अपने पिता की हत्‍या करेगा। इसे सुनकर महाकोशला को बड़ा दुःख हुआ और उसने नियति को बदलने का प्रयास किया। नवजात शिशु को उसने जंगल में छुड़वा दिया। संयोग से कुछ समय बाद ही बिम्बिसार का वहॉं होकर लौटना हुआ, तो उसने छोटे बालक को देखा और उसे अपने साथ यह सोचकर ले लिया कि यह भी राजकुमार के साथ बड़ा होगा और उसके साथ खेलता रहेगा। बिम्बिसार जब वापस अपने महल में पहुंचा तो उसे ज्ञात हुआ कि रानी महाकोशला ने पुत्र को जन्‍म दिया है। बिम्बिसार महाकोशला के भवन में पहुंचा और अपने पुत्र को देखने की मंशा जताई, तब महाकोशला ने उसे किसी तरह कुछ दिनों तक के लिए उसे टाल दिया। बाद में उसने कहा कि उसने जन्‍म के बाद ही नवजात शिशु को जंगल में छुड़वा दिया था, क्‍योंकि उसके बारे में भविष्‍यवाणी की गई थी कि वह आपकी हत्‍या करेगा। बिम्बिसार को दुःख तो हुआ, परन्‍तु महाकोशला के त्‍याग पर गर्व पर भी हुआ। समय व्‍यतीत होने लगा, उधर जंगल से लाया बालक भी बड़ा होने लगा। उसका नाम अजातशत्रु रखा गया। बिम्बिसार ने उसकी शि‍क्षा-दीक्षा राजकुमारों जैसी करवायी। बाद में वह बिम्बिसार के साथ युद्ध अभियानों में भी भाग लेने लगा। अजातशत्रु के नेतृत्‍व में मगध ने अंग राज्‍य जीता था और उसके कहने पर ही बिम्बिसार ने उसे अंगराज्‍य का राज्‍यपाल बना दिया। बाद में अजातशत्रु की महत्‍वाकांक्षाऍं बढ़ने लगीं। उसका फायदा देवदत्त ने उठाया। देवदत्त ब‍िम्बिसार की बौद्धधर्म को प्रश्रय देने की नीति से उसका विरोधी था। अजातशत्रु ने देवदत्त के साथ मिलकर पिता की हत्‍या का षड्यंत्र रचा, परन्‍तु वह भेद खुल गया। बिम्बिसार को जब यह पता लगा कि अजातशत्रु राजा बनना चाहता है, तो उसने स्‍वयं ही राजपाट त्‍याग दिया और अजातशत्रु राजा बन गया, परन्‍तु बिम्बिसार की नियति, तो पुत्र के द्वारा दर्दनाक मृत्‍यु की थी। इसलिए देवदत्त के उकसावे पर बिम्बिसार को बन्‍दी बना लिया गया और कारागार में उसपर कई प्रकार के अत्‍याचार किए गए तथा उसे भोजन नहीं दिया गया। अन्‍त समय में बिम्बिसार के पैरों को काटकर उसके घावों में नमक और सिरका डलवाया गया। घावों को कोयलों से जलाया भी गया। ऐसे अत्‍याचार से बिम्बिसार की दर्दनाक मृत्‍यु हुई। नियति को बदला नहीं जा सका। 
दैनिक पंचांग : दिनांक 23/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : चतुर्थी 23:38 तक तदुपरान्त पंचमी; नक्षत्र : शतभिषा 14:38 तक तदुपरान्त पू.भा.; योग : सौभाग्य 08:55 तक तदुपरान्त शोभन; करण : बव 12:29 तक तदुपरान्त बालव 23:38; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:41 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:14 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, चतुर्थी व्रत, गुरु हरकिशन जयन्ती (नवीन मत से), लोकमान्य बाल गंगाधर जयन्ती, राष्ट्रीय शक संवत् का श्रावण मास प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास 23:38 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 21 July 2016

                                           स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक

 देवभूमि भारत तपस्वियों की तपोभूमि और चामत्कारिक स्थल माना जाता है। जिस समय पृथ्वी पर देवी-देवता निवास करते थे, उस समय देवताओं के सान्निध्य में ऐसे स्थलों की खोज की गई, जो पृथ्वी के किसी न किसी रहस्य से जुड़े हुए थे अथवा जिनका सम्बन्ध दूर स्थित आकाशगंगा से था। इसी के चलते सहस्रों मन्दिर निर्मित हो गए, जिन्हें देखकर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है। प्रत्येक मन्दिर से जुड़ी एक कहानी है, जिस पर लोग आस्था रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मन्दिर झारखण्ड के रामगढ़ नामक स्थान पर स्थित है, जहाँ शिवलिंग पर स्वतः ही जलाभिषेक होता है।
झारखण्ड को भगवान् श्रीराम के युग में दण्डकारण्य क्षेत्र कहा जाता था। यह उस समय में तपस्वियों की तपोभूमि कहा जाता था। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में ऋषि-मुनियों के आश्रम थे, जहाँ देवगण आते रहते थे।
इस प्राचीन शिव मन्दिर को टूटी झरना के नाम से जाना जाता है। मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर स्वतः ही 24 घण्टे जलाभिषेक होता रहता है। इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है और यहाँ श्रद्धालु आते हैं।
मान्यता है कि यह जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं गंगा माँ अपनी हथेलियों से करती हैं। दरअसल, इस शिवलिंग के ऊपर गंगा माँ की प्रतिमा स्थापित है, जिनकी नाभि से स्वतः ही पानी की धारा उनकी हथेलियों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। आज भी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इस पानी का स्रोत कहाँ है?
टूटी झरना को लेकर किंवदन्ती है कि वर्षों पूर्व यहाँ रेलवे लाइन बिछाने के दौरान इस मन्दिर के बारे में लोगों को जानकारी मिली थी। पानी के लिए यहाँ खुदाई के दौरान कुछ चीजें दिखाई दीं। खुदाई के दौरान वहाँ अंग्रेज अधिकारी भी उपस्थित थे। जब खुदाई पूर्ण हुई, तो जमीन में एक शिवलिंग ऩजर आया। साथ ही माँ गंगा की प्रतिमा भी मिली, जिससे स्वतः ही जल शिवलिंग पर गिर रहा था। इस चमत्कार को देखकर अंग्रेजों की भी आँखें फटी रह गई थीं।
दैनिक पंचांग : दिनांक 22/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : तृतीया 25:17 तक तदुपरान्त चतुर्थी; नक्षत्र : धनिष्ठा 15:25 तक तदुपरान्त शतभिषा; योग : आयुष्मान 11:09 तक तदुपरान्त सौभाग्य; करण : वणिज 14:01 तक तदुपरान्त विष्टि 25:17; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:40 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:14 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 14:01 से 25:17 तक (निवास : पृथ्वी), सूर्य सायन सिंह में 15:00 बजे, राष्ट्रीय शक संवत् का आषाढ मास समाप्त, राजयोग सूर्योदय से 15:25 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा 25:17 तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 20 July 2016


गोस्‍वामी तुलसीदास का ज्‍योतिषग्रन्‍थ

तुलसीदास जी के ज्‍योतिषीय ज्ञान का परिचय रामचरितमानस आदि ग्रन्‍थों से प्राप्‍त होता ही है, परन्‍तु उन्‍होंने ज्‍योतिष पर एक पृथक् ग्रन्‍थ 'रामाज्ञाप्रश्‍न' की रचना की। हुआ यह कि जब तुलसीदासजी बनारस में थे, तब वे गंगाराम ज्‍योतिषी के साथ सन्‍ध्‍या करने गंगातट पर जाया करते थे। एक दिन तुलसीदासजी जब संध्‍या के लिए गंगारामजी को लेने आए, तब उन्‍होंने बड़े उदास मन से कहा कि ''मैं आज आपके साथ गंगा किनारे नहीं जा सकूंगा।'' तुलसीदासजी को उनके उदास मन से चिन्‍ता हुई और उन्‍होंने उसका कारण पूछा, तब गंगारामजी ने बताया कि ''गढ़बारवंशीय नरेश के राजकुमार  शिकार के लिए गए हुए हैं, परन्‍तु अभी तक लौटे नहीं हैं। समाचार यह भी मिला है, कि जो लोग शिकार के लिए गए थे, उनमें से एक को बाघ ने मार दिया है। राजा ने मुझे आज बुलाया था और मुझसे पूछा कि उनका पुत्र सकुशल है अथवा नहीं? तब मैंने उनसे एक दिन का समय मांगा है। राजा का कहना है कि उत्तर ठीक निकला तो पुरस्‍कार दिया जाएगा, अन्‍यथा प्राणदण्‍ड मिलेगा। मेरा ज्‍योतिष ज्ञान इतना नहीं है कि मैं निश्‍चयात्‍मक उत्तर दे सकूं। पता नहीं अब कल क्‍या होगा?''
तुलसीदासजी को गंगारामजी पर बड़ी दया आयी और उन्‍होंने थोड़ा विचार कर कहा ''आप चिन्‍ता न करें, रघुनाथजी सब मंगल करेंगे।''
तुलसीदासजी के इन वचनों को सुनकर गंगारामजी निश्चिन्‍त होकर संध्‍या करने गए। संध्‍या से लौटने पर तुलसीदासजी ने ज्‍योतिषग्रन्‍थ 'रामाज्ञाप्रश्‍न' की रचना की। उस समय उनके पास स्‍याही नहीं थी, फलतः कत्‍था घोलकर शरकण्‍डे की कलम से छह घण्‍टे में यह ग्रन्‍थ लिखकर गंगाराम जी को दे दिया।
दूसरे दिन ज्‍योतिषी गंगारामजी राजदरबार गए, वहॉं उन्‍होंने इस ग्रन्‍थ से देखकर बताया कि ''राजकुमार सकुशल हैं।''
जब तक राजकुमार घर लौटकर आया, तब तक गंगारामजी को बन्‍दी बनाकर रखा गया। राजकुमार के आने पर राजा ने गंगारामजी से क्षमा मॉंगी और बहुत धन-सम्‍पत्ति देकर ससम्‍मान विदा किया। वह धन लाकर गंगारामजी ने तुलसीदासजी के चरणों में रख दिया। तुलसीदासजी को उस धन से क्‍या करना था, परन्‍तु जब गंगारामजी ने बहुत आग्रह किया, तो उनका मान रखने के लिए दस हजार रुपए उसमें से लिए और उनसे हनूमान् जी के दस म‍ंदिरों का निर्माण करवाया। उन मंदिरों में दक्षिणाभिमुख हनूमान् जी की मूर्तियॉं हैं।
रामाज्ञाप्रश्‍न में सात सर्ग हैं और प्रत्‍येक सर्ग सात-सात सप्‍तकों में विभक्‍त है और प्रत्‍येक सप्‍तक में सात-सात दोहे हैं। इनमें मुख्‍यतः रामचरितमानस की कथा का वर्णन किया गया है। इसी के आधार पर फल निकाला जाता है। ग्रन्‍थ में ही फल निकालने की विधि बताई गई है।

दैनिक पंचांग : दिनांक 21/07/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : द्वितीया 26:41 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : श्रवण 15:55 तक तदुपरान्त धनिष्ठा ; योग : प्रीति 13:09 तक तदुपरान्त आयुष्मान; करण : तैतिल 15:16 तक तदुपरान्त गर 26:41; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:40 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक 27:42 से, अशून्य शयन व्रत।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मकर में (27:42) तक तदुपरान्त कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।
 
दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।
 
शिववास : सभा (26:41) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 19 July 2016

गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध पूर्वनिर्धारित है

दृष्‍टान्‍तो नैव दृष्‍टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुः
स्‍पर्शश्चेत्तत्र कल्‍प्‍यः स नयति यदहो स्‍वर्णतामस्‍मसारम्।
न स्‍पर्शत्‍वं  तथाऽपि श्रितचरणयुगे सद्गुरुः स्‍वीयशिष्‍ये
स्‍वीयं साम्‍यं विधत्ते भवति निरूपमस्‍तेन वाऽलौकिकोऽपि।।
सद्गुरु के समतुल्‍य त्रिभुवन में कुछ भी नहीं है। पारसमणि के अस्तित्‍व की कल्‍पना को यदि सच मान लिया जाए, तो वह भी लोहे के केवल सोना बना सकती है, दूसरी पारसमणि नहीं बना सकती, किन्‍तु सद्गुरु के चरणों में जो शिष्‍य आश्रय लेते हैं, उन्‍हें सद्गुरु अपने समान ही बना देते है, इसलिए गुरु अनुपम हैं, वरन् अलौकिक भी हैं।

गुरुपूर्णिमा पर हार्दिक शुभकामनाऍं!!

गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध न केवल पूर्व निर्धारित है, वरन्  यह पूर्वजन्‍मकालिक भी है। कई उदाहरणों में तो यह जन्‍म-जन्‍मान्‍तर का प्रतीत होता है। रानीखेत की दुर्गम पहाडियों में महावतार बाबाजी इसीलिए अपने शिष्‍य लाहड़ी महाशय का इन्‍तजार करते हैं। स्‍वामी विवेकानन्‍द जी को देखकर रामकृष्‍ण परमहंस यही कहते हैं कि तू आ गया मैं कब से इन्‍तजार कर रहा था। परमहंस योगानन्‍द जी को देखकर भी उनके गुरु युक्‍तेश्‍वर जी ने यही कहा कि ओ मेरे प्रिय तुम मेरे पास आ गए, कितने वर्षों से मैं तुम्‍हारी प्र‍तीक्षा कर रहा था। ये उदाहरण जन्‍म-जन्‍मान्‍तर या पूर्वजन्‍मकालिक गुरु-शिष्‍य सम्‍बन्‍ध के हैं।
अलवर रियासत में नाजिम रहे मुरलीधर जी वर्षों से सद्गुरु की खोज में तीर्थाटन कर रहे थे, परन्‍तु उनके गुरु उन्‍हें नहीं मिल पा रहे थे। हरिद्वार के कुम्‍भ मेले में एक परमहंस साधु मिले और उन्‍हें वे अपना गुरु बनाना चाहते थे, परन्‍तु उन परमहंस साधु ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मैं तेरा गुरु नहीं हूं,  तेरा गुरु तेरे पास अलवर ही आएगा, तब तुझे अपना शिष्‍य बनाएगा, तुझे इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं है। यही हुआ नियत समय के पश्‍चात् उनके गुरु अलवर ही आए और तब उन्‍होंने दीक्षा लेकर संन्‍यास ग्रहण किया। ऐसे एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं, जो यह दर्शाते हैं कि गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध एक व्‍यवस्‍था के तहत पूर्वनिर्धारित है।
दैनिक पंचांग : दिनांक 20/07/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : प्रतिपदा 27:45 तक तदुपरान्त द्वितीया; नक्षत्र : उ.षा.16:14 तक तदुपरान्त श्रवण; योग : विष्कम्भ 14:52 तक तदुपरान्त प्रीति; करण : बालव 16:09 तक तदुपरान्त कौलव 27:45; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:39 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : श्रावण मास (पूर्णिमान्त) प्रारम्भ, श्रावण कृष्णपक्ष (पूर्णिमान्त) प्रारम्भ, आषाढ कृष्णपक्ष (अमान्त) प्रारम्भ, कुमारयोग 16:14 से 27:45 तक, शुक्र अश्लेषा में 29:05 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मकर; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास :  गौरीपार्श्‍व (27:45) तक तदुपरान्त सभा।

Monday, 18 July 2016

ज्‍योतिर्विद्, जो मुख देकर कुण्‍डली बनाते!

शंकर बालकृष्‍ण दीक्षित ने कोल्‍हापुर के बाबाजी काशीनाथ पटवर्धन (प्रसिद्ध नाम महाड़कर) का उल्‍लेख किया है। वे व्‍यक्ति का मुख देकर कुण्‍डली बना लेते थे। उनका अभ्‍यास इतना अच्‍छा था कि जैसे ही उनके सामने कोई व्‍यक्ति पड़ता, वैसे ही वे उसकी कुण्‍डली बना लेते। सामान्‍यतः वे मुख के आधार पर ही यह कर लेते थे, परन्‍तु कभी कभी जिह्वा और हथेली भी देखते थे। ये केवल जन्‍मकालीन लग्‍न और ग्रहों की राशियॉं ही नहीं लिखते, वरन् उनके अंश भी बताते थे। शंकर बालकृष्‍ण दीक्षित ने उनका यह हुनर प्रत्‍यक्ष अनुभव किया। वे आश्‍चर्य से लिखते हैं कि राशियों के अंश बताना विशेष बात है। पटवर्धन को पिता के शरीर लक्षणों के द्वारा पुत्र की जन्‍मकुण्‍डली बनाते हुए भी देखा गया। एक बार नारायण भाई दांडेकर की मुखाकृति देखकर उन्‍होंने 15-20 मिनट में उनके गणेश नामक पुत्र की प्रायः सभी ग्रहों से युक्‍त जन्‍मकुण्‍डली दीक्षित जी के सामने बनायी। यह विधि किसी भी ग्रन्‍थ में नहीं मिलती। इस प्रकार की विद्याओं के जानकार अब भी होंगे, परन्‍तु किसी का प्रत्‍यक्ष अनुभव नहीं हुआ। ऐसे प्रतिभावान् ज्‍योतिर्विदों को लोगों के सामने लाने की आवश्‍यकता है।
दैनिक पंचांग : दिनांक 19/07/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : पूर्णिमा 28:27 तक तदुपरान्त प्रतिपदा; नक्षत्र : पू.षा.15:48 तक तदुपरान्त उ.षा.; योग : वैधृति 16:14 तक तदुपरान्त विष्कम्भ; करण : विष्टि 16:37 तक तदुपरान्त बव 28:27; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:39 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 16:37 तक (निवास : पाताल), आषाढीपूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, सत्यनारायण व्रत, व्यास पूजा, मन्वादि, चतुर्मास्य सन्यासियो का, कोकिला व्रत प्रारम्भ, शिव शयन उत्सव, आषाढशुक्लपक्ष समाप्त, आषाढ मास (पूर्णिमान्त) समाप्त, राजयोग सूर्योदय से 15:48 तक, सूर्य पुष्य  में 22:08 बजे, बुध अश्लेषा  में 18:02 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : धनु में (21:54) तक तदुपरान्त मकर; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल :  वायव्य, उत्तर।

शिववास : श्मशान (28:27) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Saturday, 16 July 2016

वराहमिहिर की वह भविष्‍यवाणी ... ...

प्रसिद्ध ज्योतिषी वराहमिहिर महाराजा विक्रमादित्य के राज-ज्योतिषी थे। राजा के पुत्र की जन्मपत्रिका उनके द्वारा बनाई गई तथा अन्य ज्योतिषियों द्वारा भी ज्योतिषीय गणना की विविध पद्धतियों द्वारा जन्मपत्रिका बनाकर घोषणा की गई। सभी के द्वारा राजकुमार के लिए 18वाँ वर्ष संकटपूर्ण घोषित कर दिया गया। वराहमिहिर जो सूर्य भगवान् के भक्त थे, उन्हें वाक्सिद्धि प्राप्त थी, दिव्य दृष्टि भी दैवकृपा से उनके पास थी, के द्वारा निर्भीकतापूर्वक स्पष्टता के साथ फलादेश दिया गया कि राजकुमार की हत्या शूकर द्वारा निश्चित समय तथा दिन को होगी। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि कोई भी उपाय इस मृत्यु से राजकुमार को बचाने में सहायक नहीं हो सकता। यह दुर्घटना अपरिवर्तनीय है। सभी प्रकार के सुरक्षा के उपाय किए जाने पर भी राजकुमार के प्राण नहीं बचाए जा सकते।
निश्चित दिन आने पर राजा द्वारा राजकुमार की सुरक्षा के लिए जितने उपाय सम्भव थे, किए गए। सभी जन इस भविष्यवाणी के विषय में जानने को उत्सुक थे। राजा अपने दरबार में थे। उन्होंने बार-बार वराहमिहिर से अपनी गणना के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने के लिए कहा। राजा आश्वस्त थे कि इतनी सुरक्षा करने पर कोई भी जंगली शूकर राजकुमार के महल तक नहीं पहुँच सकता। राजकुमार की पल-पल की सूचना प्राप्त करने के लिए सेवक नियुक्त किए गए। राजकुमार अपने महल की सबसे ऊपर की मंजिल पर अपने मित्रों के साथ कक्ष में पूर्ण सुरक्षित थे। महल में पहरा इतना था कि किसी प्रकार भी परिन्दा पर तक नहीं मार सके। राजा द्वारा घोषणा की गई कि भविष्णवाणी सिद्ध होने पर राज्य का सर्वोच्च सम्मान वराहमिहिर को प्रदान किया जाएगा।
जैसे-जैसे समय निकट आता गया, सन्नाटा छाता गया। प्रजाजन बड़ी उत्सुकता के साथ सूचना की प्रतीक्षा में थे। राजा द्वारा बार-बार पूछने पर वराहमिहिर द्वारा कहा गया कि राजकुमार के द्वारा पूर्वजन्म के पापकर्म के परिणामस्वरूप जन्मकालीन ग्रह-स्थिति द्वारा सूचित यह दण्ड है। किसी भी उपाय से इस दण्ड को समाप्त नहीं किया जा सकता। इसे तो भोगना ही पड़ेगा।
थोड़ी-थोड़ी देर में लगातार राजा को राजकुमार की सुरक्षा के सम्बन्ध में सूचना देने का सैनिकों को आदेश था। जैसे ही निश्चित समय बीता, सैनिक ने राजा को राजकुमार के सुरक्षित होने की सूचना दी। कुछ समय पश्चात् दूसरा सैनिक भी वही समाचार लाया, परन्तु वराहमिहिर इस समाचार से सहमत नहीं थे। उन्होंने बड़े शान्त चित्त से महाराजा से कहा कि निश्चित समय पर राजकुमार की मृत्यु हो चुकी है। अच्छा यही होगा कि चलकर सत्यापन कर लिया जाए। इतने पर भी अन्य सैनिकों ने भी राजकुमार की कुशलता दी।
यहाँ राजा को फलादेश पर संशय हुआ। उन्होंने वराहमिहिर को पुनः गणना करने के लिए कहा, परन्तु मिहिर अपनी भविष्यवाणी पर अड़िग थे। उन्होंने साहस के साथ कहा कि राजकुमार की मृत्यु हो चुकी है। वह खून से लथपथ पड़े हुए हैं। सम्भवतः पहरेदारों तथा सहचरों का इस पर ध्यान नहीं गया है। उन्होंने महाराजा को प्रेरित किया कि वे स्वयं जाकर स्थिति का अवलोकन करें।
महाराजा स्वयं कुछ विशेष अधिकारियों सहित महल की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुँचे। राजकुमार के सहचर खेलने में पूर्ण रूप से तल्लीन थे। उन्हें महाराजा के आने का भी पता नहीं चला। पूछने पर ज्ञात हुआ कि राजकुमार उन्हीं के साथ खेल रहे थे। कुछ ही क्षण पूर्व खुले बरामदे में गए हैं।
सभी लोग बरामदे में पहुँचे। भयावह दृश्य देखकर सभी लोग काँप गए। राजकुमार खून से लथपथ मृत पड़े थे। देखा गया कि राजकुमार के शरीर पर शिल्पकार द्वारा निर्मित शूकर की मूर्ति के पंजे के घाव थे। राजकुमार के पूर्वजन्म के आधार ग्रहों द्वारा सूचित भविष्यफल कथन सत्य हुआ।
जब उक्त स्थान का निर्माण किया गया था, तब शिल्पकार ने एक स्तम्भ पर लोहे और चूने से बना एक शूकर राजमहल के शिखर पर लगाया था। किसी को भी यह ध्यान में नहीं आया कि यही एक दिन राजकुमार की मृत्यु का कारण बनेगा। राजकुमार को उसी निश्चित समय के लगभग व्याकुलता हुई और वह स्वच्छ वायु लेने बाहर गए। निश्चित समय हवा का तीव्र झोंका आया, जिसने खम्भे को दो हिस्सों में तोड़ दिया और शूकर सीधा राजकुमार की छाती पर जा गिरा। घाव इतना गहरा था कि अत्यधिक रक्तस्राव के कारण राजकुमार की मृत्यु हो गई।
दैनिक पंचांग : दिनांक 18/07/2016 सोमवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : चतुर्दशी 28:40 तक तदुपरान्त पूर्णिमा; नक्षत्र : मूल 15:03 तक तदुपरान्त पू.षा.; योग : ऎन्द्र 17:12 तक तदुपरान्त वैधृति; करण : गर 16:36 तक तदुपरान्त वणिज 28:40; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:38 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:16 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 28:40 से (निवास : पाताल), शिवशयन चतुर्दशी (ओडिशा), आषाढी चतुर्दशी (चौमासी चौदस) (जैन धर्म), रवियोग 15:03 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : धनु; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल :  पूर्व, आग्नेय।

शिववास : ज्ञानवेला 28:40 तक तदुपरान्त श्मशान।
दैनिक पंचांग : दिनांक 17/07/2016 रविवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : त्रयोदशी 28:23 तक तदुपरान्त चतुर्दशी; नक्षत्र : ज्येष्ठा 13:46 तक तदुपरान्त मूल; योग : ब्रह्म 17:45 तक तदुपरान्त ऎन्द्र; करण : कौलव 16:02 तक तदुपरान्त तैतिल 28:23; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:38 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:16 बजे।

व्रत-पर्व : प्रदोष व्रत, जयापार्वती व्रत प्रारम्भ (गुजरात), सर्वार्थसिद्धियोग 13:46 से आगामी सूर्योदय तक, रवियोग 13:46 से, बुध उदय स्थानभेदानुसार।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : वृश्चिक में (13:46) धनु; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : वृषारुढ 28:23 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Friday, 15 July 2016

मंगल की अन्‍तर्दशा के कारण गए कैमरन!

मई, 2015 में डेविड कैमरन ने पुनः सत्ता में आकर राजनीतिक विश्‍लेषकों को सम्‍भवतः उतना नहीं चौंकाया, जितना कि पिछले 15 दिनों में हुए घटनाक्रम के बाद अन्‍ततः इस्‍तीफा की घोषणा कर उन्‍होंने चौंकाया था। निर्वाचित एवं हाउस ऑव कामंस में बहुमत प्राप्‍त कैमरन को 13 महीनों के बाद ही सत्ता छोड़नी होगी, इसकी किसी ने भी कल्‍पना नहीं की होगी, परन्‍तु दशाऍं इस ओर संकेत कर रही थीं। मार्च, 2016 से ही कैमरन प्रतिकूल दशाओं के प्रभाव में थे। सूर्य महादशा में मंगल की अन्‍तर्दशा थी। मंगल तृतीयेश-अष्‍टमेश होकर द्वादश भाव में स्थित है। वहीं, महादशानाथ सूर्य द्वादशेश होकर लग्‍न में स्थित है। यदि कैमरन इस्‍तीफा नहीं देते, तो 24 जुलाई से आरम्‍भ होने वाली सूर्य में राहु की अन्‍तर्दशा में उन्‍हें जबरन कुर्सी छोड़नी पड़ती।
कैमरन के दूसरे कार्यकाल पर 'ज्‍योतिष सागर'
जून, 2015 के अंक में कैमरन के दूसरे कार्यकाल के सम्‍बन्‍ध में 'ज्‍योतिष सागर' का आकलन था कि ''डेविड कैमरन की जन्‍मपत्रिका के आधार पर देखा जाए, तो उनका यह कार्यकाल उतना सहज एवं प्रगतिशील नहीं रहेगा, जितना कि उनका विगत कार्यकाल था। आने वाली सूर्य की महादशा उनके लिए समय-समय पर समस्‍याऍं उत्‍पन्‍न करती रहेगी, जून, 2015 से सितम्‍बर, 2015; मार्च, 2016 से जून, 2017 .... का समय उनके लिए अच्‍छा नहीं है। यदि वे पुनः में होने वाले आम चुनावों में प्रधानमन्‍त्री पद के उम्‍मीदवार बनते हैं, तो उनके पुनः सत्ता में आने की सम्‍भावना कम है।''
दैनिक पंचांग : दिनांक 16/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : द्वादशी 27:32 तक तदुपरान्त त्रयोदशी; नक्षत्र : अनुराधा 11:56 तक तदुपरान्त ज्येष्ठा; योग : शुक्ल 17:51 तक तदुपरान्त ब्रह्म; करण : बव 14:54 तक तदुपरान्त बालव 27:32; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:37 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:16 बजे।

व्रत-पर्व : हरिवासराभाव, मनसापूजा  प्रारम्भ (पूर्वी भारत), सूर्य की निरयण संक्रान्ति (30 मुहूर्ती), पुण्यकाल 16:38 तक, सूर्य कर्क में 10:15 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : वृश्चिक; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास 27:32 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 14 July 2016

शीला दीक्षित को हल्‍का नहीं लेना चाहिए!

आखिर लम्‍बी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को उत्तरप्रदेश के मुख्‍यमन्त्री उम्‍मीदवार के रूप में प्रस्‍तुत कर दिया। इससे पहले राजबब्‍बर को अध्‍यक्ष बनाया गया। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस इन चुनावों को लेकर अधिक गम्‍भीर है। वस्‍तुतः यह उसके अस्तित्‍व की लड़ाई का प्रश्‍न है। शीला दीक्षित को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाऍं आ रही हैं, परन्‍तु उनकी ग्रहदशा को देखते हुए  उन्‍हें हल्‍का  लेना राजनीतिक दलों के लिए भूल होगी। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी दशाऍं राजनीतिक उपलब्धियों की दृष्टि से बेहतर हैं। शीला दीक्षित की कर्क लग्‍न की जन्‍मपत्रिका में दशम भाव में पंचमेश-दशमेश मंगल, चतुर्थेश-एकादशेश शुक्र तथा तृतीयेश-द्वादशेश बुध की युति है। चुनावों के दौरान राहु में गुरु में बुध की प्रत्‍यन्‍तर्दशा रहेगी। बुध केतु के नक्षत्र एवं मंगल के उपनक्षत्र में दशम भाव में स्थित है। निरयण भावचलित में केतु एकादश भाव में तथा मंगल दशमभाव में स्थित है। इस प्रकार दशाऍं बेहतर हैं। शीला दीक्षित की ये बेहतर दशाऍं यूपी में मृतप्राय कांग्रेस को कितना जीवित कर पाती हैं, यह देखने की बात होगी, फिर भी इतना जरूर कहना चाहेंगे कि शीला दीक्षित को हल्‍का नहीं लेना चाहिए।

यह भी उल्‍लेखनीय है कि अक्‍टूबर, 2016 तक का समय उनके लिए बहुत अच्‍छा नहीं है। राजनीतिक आरोप-प्रत्‍यारोप, जॉंच एजेन्‍सी की समस्‍याऍं आदि रहेंगी। स्‍वास्‍थ्‍य भी प्रभावित हो सकता है।

Wednesday, 13 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 14/07/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : दशमी 24:15 तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : स्वाती 06:52 तक तदुपरान्त विशाखा; योग : साध्य 16:53 तक तदुपरान्त शुभ; करण : तैतिल 11:09 तक तदुपरान्त गर 24:15; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:36 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:17 बजे।

व्रत-पर्व : गुप्तनवरात्रोत्थापन, आशादशमी व्रत, गिरिजा दशमी, उल्टा रथ-पुनर्यात्रा (जगन्नाथपुरी), मन्वादि, रवियोग सम्पूर्ण दिनरात।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : तुला में (26:57) तक तदुपरान्त वृश्चिक; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : सभा (24:15) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Thursday, 7 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 08/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : चतुर्थी 12:45 तक तदुपरान्त पंचमी; नक्षत्र : मघा 18:10 तक तदुपरान्त पू.फा.; योग : सिद्धि 13:26 तक तदुपरान्त व्यतीपात; करण : विष्टि 12:45 तक तदुपरान्त बव 25:05; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:33 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:18 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 12:45 तक (निवास : पृथ्वी), रवियोग 18:10 तक, कुमारयोग 12:45 से 18:10 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 18:10 से आगामी सूर्योदय तक, शनि अनुराधा में 24:31 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : सिंह; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा 12:45 तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 6 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 07/07/2016 गुरुवार,  
 विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : तृतीया 12:38 तक तदुपरान्त चतुर्थी; नक्षत्र : अश्लेषा 17:12 तक तदुपरान्त मघा; योग : वज्र 14:18 तक तदुपरान्त सिद्धि; करण : गर 12:38 तक तदुपरान्त वणिज 24:36; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:33 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:18 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 24:36 से (निवास : पृथ्वी), विनायक चतुर्थी, रवियोग 17:12 से, शुक्र कर्क 15:36 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : कर्क में (17:12) तक तदुपरान्त सिंह; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : मिथुन; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : सभा 12:38 तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 5 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 06/07/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : द्वितीया 13:16 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : पुष्य 16:59 तक तदुपरान्त अश्लेषा; योग : हर्षण 15:46 तक तदुपरान्त वज्र; करण : कौलव 13:16 तक तदुपरान्त तैतिल 24:52; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:32 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:18 बजे।

व्रत-पर्व : जगन्नाथपुरी रथयात्रा, ईद-उल- फितर (मीठी ईद), हिजरी सन का शव्वाल मास प्रारम्भ, राजयोग 16:59 तक, बुध पुनर्वसु में 17:48 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : कर्क; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : मिथुन; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (13:16) तक तदुपरान्त सभा।

Monday, 4 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 05/07/2016 मंगलवार, विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : प्रतिपदा 14:36 तक तदुपरान्त द्वितीया; नक्षत्र : पुनर्वसु 17:28 तक तदुपरान्त पुष्य; योग : व्याघात 17:48 तक तदुपरान्त हर्षण; करण : बव 14:36 तक तदुपरान्त बालव 25:51; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:32 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:19 बजे।

व्रत-पर्व : गुप्तनवरात्र प्रारम्भ, मनोरथ द्वितीया व्रत (पूर्वी भारत), गुरु हरगोविन्द सिंह जयन्ती (नवीन मत से), चन्द्रदर्शन (30 मुहूर्ती), उत्तरशृंगोन्नति, आषाढ शुक्ल पक्ष प्रारम्भ, आषाढ मास (अमान्त) प्रारम्भ, हिजरी सन का रमजान मास समाप्त, कुमारयोग 14:36 तक, त्रिपुष्करयोग 14:36 से 17:28 तक, राजयोग 17:28 से, सूर्य पुनर्वसु में 22:35 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : मिथुन में (11:41) तक तदुपरान्त कर्क; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : मिथुन; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : श्मशान (14:36) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Friday, 1 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 02/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : कृष्ण; तिथि : त्रयोदशी 21:34 तक तदुपरान्त चतुर्दशी; नक्षत्र : रोहिणी 21:57 तक तदुपरान्त मृगशिरा; योग : शूल 05:47 तक तदुपरान्त गण्ड 26:26; करण : गर 10:58 तक तदुपरान्त वणिज 21:34; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:31 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:18 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 21:34 से (निवास : स्वर्ग), शनि प्रदोष व्रत, मास शिवरात्रि, रोहिणी व्रत (जैनधर्म), अमृत सिद्धियोग सूर्योदय से 21:57 तक, सर्वार्थसिद्धियोग सूर्योदय से 21:57 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : वृषभ; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : मिथुन; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : ज्ञानवेला 21:34 तक तदुपरान्त श्मशान।
दैनिक पंचांग : दिनांक 01/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : कृष्ण; तिथि : द्वादशी 24:23 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : कृत्तिका 23:58 तक तदुपरान्त रोहिणी; योग : धृति 09:10 तक तदुपरान्त शूल; करण : कौलव 13:49 तक तदुपरान्त तैतिल 24:23; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:30 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:18 बजे।

व्रत-पर्व : योगिनी एकादशी व्रत (वैष्णव), जमात-उल-विदा (मुस्लिम धर्म)।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : मिथुन; चन्द्रमा : मेष में (07:30) तक तदुपरान्त वृषभ; मंगल : तुला; बुध : मिथुन; गुरु : सिंह; शुक्र : मिथुन; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : वृषारुढ 24:23 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।