Friday, 23 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 24/12/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : पौष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : एकादशी 27:32 तक तदुपरान्त द्वादशी; नक्षत्र : स्वाती 24:37 तक तदुपरान्त विशाखा; योग : अतिगण्ड 07:12 तक तदुपरान्त सुकर्मा; करण : बव 14:13 तक तदुपरान्त बालव 27:32; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:15 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:25 बजे।

व्रत-पर्व : सफला एकादशी व्रत (स्मार्त -वैष्णव), सर्वार्थसिद्धियोग सूर्योदय से 24:37 तक, त्रिपुष्करयोग 27:32 से, बुध अस्त स्थानभेदानुसार, शनि उदय स्थानभेदानुसार।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : धनु; चन्द्रमा : तुला; मंगल : कुम्भ; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:00 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास 27:32 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Wednesday, 21 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 22/12/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : पौष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : नवमी 22:25 तक तदुपरान्त दशमी; नक्षत्र : हस्त 18:42 तक तदुपरान्त चित्रा; योग : शोभन 30:22 तक तदुपरान्त अतिगण्ड; करण : तैतिल 09:18 तक तदुपरान्त गर 22:25; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:14 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:24 बजे।

व्रत-पर्व : राष्ट्रीय शक संवत् का पौष मास प्रारम्भ, शुक्र धनिष्ठा में 26:34 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : धनु; चन्द्रमा : कन्या; मंगल : कुम्भ; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : सभा (22:25) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 20 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 21/12/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : पौष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : अष्टमी 20:18 तक तदुपरान्त नवमी; नक्षत्र : उ.फा. 16:11 तक तदुपरान्त हस्त; योग : सौभाग्य 29:45 तक तदुपरान्त शोभन; करण : बालव 07:26 तक तदुपरान्त कौलव 20:18; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:13 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:24 बजे।

व्रत-पर्व : कालाष्टमी, सूर्य सायन मकर में 16:14 से, सूर्य उत्तरायण प्रारम्भ, शिशिर ऋतु प्रारम्भ, राष्ट्रीय शक का आग्राहयण मास समाप्त, सार्वार्थसिद्धियोग 16:11 से आगामी सूर्योदय तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : धनु; चन्द्रमा : कन्या; मंगल : कुम्भ; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (20:18) तक तदुपरान्त सभा।
January, 2017 of Jyotish Sagar has been published now. This is a special issue on “Transiting Saturn in Sagittarius (26 January, 2017).” This issue is now available on magazine stores and book sellers.

Index of some important articles are given here :
 

1. How will be Saturn in Sagittarius for you?
2. How will be Saturn in Sagittarius for India?
3. Saturn was main reason of the Mahabharata War.
4. Saturn’s effects on Career and Life : Two Examples..
5. 31 Remedies of Shani Shaman.
6. Career Factors of Saturn.
7. Saturn in Astrology.
8. Various traditions of celebrating New Year.
9. Makar Sankranti festival by region.
10.Know! Good or Evil results of Dreams.
11.Jayalalithaa’s Sudden Demise/Death. (Horoscope Analysis)
12.What may India be free from Black Money and corruption?


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Monday, 12 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 13/12/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : चतुर्थदशी 09:17 तक तदुपरान्त पूर्णिमा; नक्षत्र : रोहिणी 21:41 तक तदुपरान्त मृगशिरा; योग : साध्य 24:39 तक तदुपरान्त शुभ; करण : वणिज 09:17 तक तदुपरान्त विष्टि 19:25 बव 29:36; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:08 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:21 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 09:17 से 19:25 तक (निवास : स्वर्ग), श्री सत्यनारायण व्रत, श्री दत्तात्रेय जयन्ती, अन्नपूर्णा जयन्ती, त्रिपुर भैरव जयन्ती, पूर्णिमा तिथि पक्ष, रोहिणी व्रत (जैन धर्म), मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष समाप्त, मार्गशीर्ष मास (पूर्णिमान्त) समाप्त, राजयोग 21:41 से 29:36 तक, कुमारयोग 29:36 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : वृषभ ; मंगल : कुम्भ; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : ज्ञानवेला 09:17  तक तदुपरान्त श्मशान।

Saturday, 10 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 12/12/2016 सोमवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : त्रयोदशी 12:59 तक तदुपरान्त चतुर्थदशी; नक्षत्र : कृत्तिका 24:39 तक तदुपरान्त रोहिणी; योग : शिव 09:11 तक तदुपरान्त सिद्ध 28:55; करण : तैतिल  12:59 तक तदुपरान्त गर 23:08; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:08 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:21 बजे।

व्रत-पर्व : कृत्तिका दीपम (दक्षिण भारत), ईद-ए-मिलाद (बारहवफात), रवियोग 24:39 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 24:39 से आगामी सूर्योदय तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : मेष में (08:51 बजे तक तदुपरान्त) वृषभ ; मंगल : कुम्भ; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, आग्नेय ।

शिववास : वृषारुढ 12:59 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।
दैनिक पंचांग : दिनांक 11/12/2016 रविवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : द्वादशी 16:32 तक तदुपरान्त त्रयोदशी; नक्षत्र : भरणी 27:33 तक तदुपरान्त कृत्तिका; योग : परिघ 13:17 तक तदुपरान्त शिव; करण : बालव 16:32 तक तदुपरान्त कौलव 26:47; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:07 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:21 बजे।

व्रत-पर्व : अखण्ड द्वादशी, व्यन्जन द्वादशी, प्रदोष व्रत, दान द्वादशी (ओडिशा), भरणी दीपम (दक्षिण भारत), राजयोग सूर्योदय से 16:32 तक, रवियोग 27:33 से, मंगल कुम्भ में 18:56 बजे , शुक्र श्रवण में 09:14 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : मेष; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : कैलास 16:32 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 8 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 09/12/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : दशमी 22:29 तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : उ.भा.10:12 तक तदुपरान्त रेवती; योग : व्यतीपात 20:30 तक तदुपरान्त वरियान; करण : तैतिल 11:37 तक तदुपरान्त गर 22:29; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:06 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, श्री राजगोपालाचार्य जयन्ती, रवियोग सम्पूर्ण दिन-रात, सर्वार्थसिद्धियोग 10:12 से आगामी सूर्योदय तक, अमृतसिद्धियोग 22:29 से आगामी सूर्योदय तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : मीन; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : सभा (22:29) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Wednesday, 7 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 08/12/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : नवमी 24:37 तक तदुपरान्त दशमी; नक्षत्र : पू.भा.11:17 तक तदुपरान्त उ.भा.; योग : सिद्धि 23:25 तक तदुपरान्त व्यतीपात; करण : बालव 13:26 तक तदुपरान्त कौलव 24:37; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:05 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, कल्पादि, रवियोग 11:17 से, बुध पू.षा. में 20:59 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : मीन; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (24:37) तक तदुपरान्त सभा।

Tuesday, 6 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 07/12/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : अष्टमी 26:05 तक तदुपरान्त नवमी; नक्षत्र : शतभिषा 11:41 तक तदुपरान्त पू.भा.; योग : वज्र 25:47 तक तदुपरान्त सिद्धि; करण : विष्टि 14:33 तक तदुपरान्त बव 26:05; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:04 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 14:33 तक (निवास : पृथ्वी), श्री दुर्गाष्टमी, बुधाष्टमी।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : कुम्भ में (29:27 तक तदुपरान्त) मीन; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : श्मशान (26:05) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Monday, 5 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 06/12/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : सप्तमी 26:51 तक तदुपरान्त अष्टमी; नक्षत्र : धनिष्ठा 11:25 तक तदुपरान्त शतभिषा; योग : हर्षण 27:37 तक तदुपरान्त वज्र; करण : गर 14:59 तक तदुपरान्त वणिज 26:51; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:04 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 26:41 से (निवास : पृथ्वी), मित्र सप्तमी, नरसी मेहता जयन्ती, रवियोग 11:25 तक, द्विपुष्कर योग सूर्योदय से 11:25 तक, राजयोग सूर्योदय से 11:25 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : कुम्भ; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : तुला; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : ज्ञानवेला 26:51 तक तदुपरान्त श्मशान।

Thursday, 1 December 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 02/12/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : तृतीया 23:57 तक तदुपरान्त चतुर्थी; नक्षत्र : पू.षा. तक तदुपरान्त पू.षा.; योग : गण्ड 30:15 तक तदुपरान्त वृद्धि; करण : तैतिल 11:06 तक तदुपरान्त गर 23:57; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:01 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : हिजरी सन का रबी-उल-अव्वल मास प्रारम्भ, रवियोग 17:52 तक, राजयोग सूर्योदय से 23:57 तक, सूर्य ज्येष्ठा में 17:52 बजे, मंगल धनिष्ठा में 22:18 बजे, राहु मघा में 17:06 बजे, शुक्र मकर में 18:43 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : धनु; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : सभा (23:57) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Wednesday, 30 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 01/12/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : द्वितीया 22:09 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : मूल 29:05 तक तदुपरान्त पू.षा.; योग : शूल 30:04 तक तदुपरान्त गण्ड; करण : बालव 09:09 तक तदुपरान्त कौलव 22:09; सूर्योदय (दिल्ली में) 07:00 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : हिजरी सन का सफर मास समाप्त, रवियोग 29:05 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : धनु; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (22:09) तक तदुपरान्त सभा।

Tuesday, 29 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 30/11/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : शुक्ल; तिथि : प्रतिपदा 20:05 तक तदुपरान्त द्वितीया; नक्षत्र : ज्येष्ठा 26:37 तक तदुपरान्त मूल; योग : धृति 29:40 तक तदुपरान्त शूल; करण : किंस्तुघ्न 06:58 तक तदुपरान्त बव 20:05; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:59 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : चन्द्रदर्शन (15 मुहूर्ती) उत्तर शृंगोन्नति, मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष प्रारम्भ, मार्गशीर्ष मास (अमान्त) प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : वृश्चिक में (26:37 तक तदुपरान्त) धनु; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : श्मशान (20:05) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Monday, 28 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 29/11/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : अमावस्या  17:48 तक तदुपरान्त प्रतिपदा; नक्षत्र : अनुराधा 23:55 तक तदुपरान्त ज्येष्ठा; योग : सुकर्मा 29:05 तक तदुपरान्त धृति; करण : नाग 17:48 तक तदुपरान्त किंस्तुघ्न; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:58 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : देवपितृकार्य अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष (पूर्णिमान्त) समाप्त, कार्तिक मास (अमान्त) समाप्त, शुक्र उ.षा.  में 22:30 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : वृश्चिक; मंगल : मकर; बुध : धनु; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (17:48) तक तदुपरान्त श्मशान।

Saturday, 26 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 28/11/2016 सोमवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : चतुर्दशी 15:21 तक तदुपरान्त अमावस्या; नक्षत्र : विशाखा 21:04 तक तदुपरान्त अनुराधा; योग : अतिगण्ड 28:21 तक तदुपरान्त सुकर्मा; करण : शकुनि 15:21 तक तदुपरान्त चतुष्पद 28:36; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:58 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : सर्वार्थसिद्धियोग 21:04 से आगामी सूर्योदय तक, बुध धनु राशि एवं मूल नक्षत्र में 22:12 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : तुला में (14:20 बजे तक तदुपरान्त) वृश्चिक; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, आग्नेय।

शिववास : श्मशान (15:21) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।
दैनिक पंचांग : दिनांक 27/11/2016  रविवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : त्रयोदशी 12:47 तक तदुपरान्त चतुर्दशी; नक्षत्र : स्वाती 18:05 तक तदुपरान्त विशाखा; योग : शोभन 27:32 तक तदुपरान्त अतिगण्ड; करण : वणिज 12:47 तक तदुपरान्त विष्टि 26:05; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:57 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 12:47 से 26:05 तक (निवास : पाताल), मासशिवरात्रि।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : तुला; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल :  नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : ज्ञानवेला 12:47 तक तदुपरान्त श्मशान।

Friday, 25 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 26/11/2016  शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : द्वादशी 10:11 तक तदुपरान्त त्रयोदशी; नक्षत्र : चित्रा 15:04 तक तदुपरान्त स्वाती; योग : सौभाग्य 26:38 तक तदुपरान्त शोभन; करण : तैतिल 10:11 तक तदुपरान्त गर 23:29; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:56 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : शनि प्रदोष व्रत, द्विपुष्करयोग सूर्योदय से 10:11 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 15:04 से आगामी सूर्योदय तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : तुला; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:00 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : वृषारुढ 10:11 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Thursday, 24 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 25/11/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : एकादशी 07:41 तक तदुपरान्त द्वादशी; नक्षत्र : हस्त 12:06 तक तदुपरान्त चित्रा; योग : आयुष्मान 25:45 तक तदुपरान्त सौभाग्य; करण : बालव 07:41 तक तदुपरान्त कौलव 20:55; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:55 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:19 बजे।

व्रत-पर्व : उत्पन्ना- वैतरणी एकादशी व्रत (वैष्णव), एकादशी तिथि वृद्धि, उन्मीलिनी महाद्वादशी व्रत, कुमारयोग सूर्योदय से 07:41 तक, राजयोग 12:06 से आगामी सूर्योदय तक, शनि अस्त स्थानभेदानुसार।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : कन्या में (25:34 बजे तक तदुपरान्त) तुला; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : कैलास 07:41 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Wednesday, 23 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 24/11/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : एकादशी  तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : उ.फा. 09:21 तक तदुपरान्त हस्त; योग : प्रीति 24:58 तक तदुपरान्त आयुष्मान; करण : बव 18:31; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:54 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : उत्पन्ना- वैतरणी एकादशी व्रत (स्मार्त)।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : कन्या; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : कैलास तक तदुपरान्त कैलास।

Tuesday, 22 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 23/11/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : दशमी 29:26 तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : पू.फा. 06:58 तक तदुपरान्त उ.फा.; योग : विष्कम्भ 24:24 तक तदुपरान्त प्रीति; करण : वणिज 16:27 तक तदुपरान्त विष्टि 29:26; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:54 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 16:27 से 29:26 तक (निवास : पाताल), श्री महावीर स्वामी दीक्षा दिवस।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : सिंह में (13:31 तक तदुपरान्त) कन्या; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल :  ईशान, उत्तर।

शिववास : क्रीडा 29:26 तक तदुपरान्त कैलास।

Monday, 21 November 2016

December, 2016 Issue of Jyotish Sagar has been published now. This issue is based on the Annual Forecast, Year 2017 (Varshik Rashiphal-2017) together Annual Zodiac Interpretations where the entire year and next year's weekly Zodiac Interpretations. At Fifty-two weeks, depending on the week throughout the year and each of the Interpretations sun, moon, etc. Nine planets have on the Natural and Zodiac situation. Commences each in the Zodiac has been assessed native of the natural qualities. In addition, for each Zodiac Beneficial planet, Zodiac, Gemstone, Rudraksha, God-Goddess, etc. are described.

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दैनिक पंचांग : दिनांक 22/11/2016 मंगलवार, विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : नवमी 27:36 तक तदुपरान्त दशमी; नक्षत्र : पू.फा. तक तदुपरान्त पू.फा.; योग : वैधृति 24:11 तक तदुपरान्त विष्कम्भ; करण : तैतिल 14:55 तक तदुपरान्त गर 27:36; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:53 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:20 बजे।

व्रत-पर्व : राष्ट्रीय शक संवत् का आग्रहायण मास प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : सिंह; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : सभा (27:36) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Friday, 18 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 19/11/2016 शनिवार, विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : षष्ठी 26:18 तक तदुपरान्त सप्तमी; नक्षत्र : पुष्य 27:44 तक तदुपरान्त अश्लेषा ; योग : शुक्ल 26:45 तक तदुपरान्त ब्रह्म; करण : गर 14:49 तक तदुपरान्त  वणिज 26:18; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:51 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:22 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 26:18 से (निवास : पृथ्वी), छींटछठ, इन्दिरा गान्धी जयंती, रवियोग 13:39 तक, रवियोग पुनः प्रारम्भ 27:44 से, सूर्य अनुराधा में 13:39 से, बुध ज्येष्ठा में 21:41 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : कर्क; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:00 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : ज्ञानवेला 26:18 तक तदुपरान्त श्मशान।

Thursday, 17 November 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 18/11/2016 शुक्रवार, विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : मार्गशीर्ष; पक्ष : कृष्ण; तिथि : पंचमी 27:33 तक तदुपरान्त षष्ठी; नक्षत्र : पुनर्वसु 28:17 तक तदुपरान्त पुष्य; योग : साध्य 07:44 तक तदुपरान्त शुभ  28:55; करण : कौलव 16:29 तक तदुपरान्त तैतिल 27:33; सूर्योदय (दिल्ली में) 06:50 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 17:22 बजे।

व्रत-पर्व : सर्वार्थसिद्धियोग 28:17 तक, कुमारयोग सूर्योदय से 28:17 तक, रवियोग 28:17 से, शुक्र पू.षा. में 15:51 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : वृश्चिक; चन्द्रमा : मिथुन में (22:32 बजे तक तदुपरान्त) कर्क; मंगल : मकर; बुध : वृश्चिक; गुरु : कन्या; शुक्र : धनु; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : वृषारुढ 27:33 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Tuesday, 8 November 2016

संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव-2016 : ज्योतिषीय विश्लेषण

 रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प

Published in Jyotish Sagar July, 2016 Issue on 20th June, 2016
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों का विश्व राजनीति में विशेष महत्त्‍व होता है। सभी की निगाहें इन चुनावों पर रहती हैं। एकल विश्व शक्ति के रूप में अमेरिका की स्थिति होने के कारण इसकी नीतियों का प्रभाव वैश्विक राजनीति पर पड़ता है। वस्तुतः अमेरिकी राष्ट्रपति वैश्विक राजनीति का नियन्ता के रूप में स्थापित हो गया है।
अमेरिका में दो प्रमुख दल हैं : रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेटिक। इन्हीं में से एक दल का व्यक्ति राष्ट्रपति बनता है। वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा डेमोक्रेटिक दल से हैं। ये सन् 2009 से राष्ट्रपति पद पर हैं। अमेरिका में एक व्यक्ति केवल दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। इसलिए बराक ओबामा का यह अन्तिम शासनकाल है।
पिछले छह महीनों से रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेटिक दोनों ही दलों में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए आन्तरिक चुनाव हो रहे हैं। निर्धारित डेलीगेट्स समर्थन के आधार पर अब लगग यह तय है कि रिपब्लिकन दल से डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प पेशे से व्यवसायी हैं। इनका व्यवसाय रियल एस्टेट, होटल, मनोरंजन आदि क्षेत्रों में है। फोर्ब्स पत्रिका ने इन्हें विश्व के 400 धनी व्यक्तियों में सम्मिलित किया है। इन्होंने टी.वी. पर द अप्रेंटिस रियलिटी शो को सन् 2004 से सन् 2015 तक होस्ट किया। यह लोकप्रिय टी.वी. शो था। ट्रम्प अब अमेरिका की स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड के सदस्य हैं और यहाँ से 1,10,000 डॉलर से अधिक वार्षिक पेंशन प्राप्त करते हैं। इन्होंने कई फिल्में भी बनाई हैं और कुछ में अभिनय भी किया है।
ट्रम्प का पैतृक व्यवसाय रियल एस्टेट है। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही ये इस व्यवसाय में आ गए थे। उनका कहना है कि जब उन्होंने 1968 में स्‍नातक किया, तब वे 2,00,000 डॉलर सम्‍पत्ति के मालिक थे, जो कि सन् 2015 में 10,21,000 डॉलर के समकक्ष है। इनकी मुख्य कंपनी ‘ट्रम्प ऑर्गेनाइजेशन’ है। इसका मुख्यालय मिडटाउन मेनहट्टन में 58 मंजिली ट्रम्प टॉवर में है। ये 4.5 बिलियन डॉलर सम्‍पत्ति के मालिक हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये अमेरिकी इतिहास में सर्वाधिक धनवान् राजनेता हैं।
ट्रम्प का जन्म 14 जून, 1946 को न्यूयॉर्क के समीप जमैका एस्टेट, क्‍वीन्‍स में हुआ। उनके पिता फ्रैड ट्रम्प मूलतः जर्मनी से हैं और उनकी माता मैरी एन मूलतः स्कॉटलैण्ड से हैं। अपने माता-पिता की चौथी सन्तान ट्रम्प की स्कूली शिक्षा वहीं स्थानीय विद्यालय में हुई। 13 वर्ष की अवस्था में इन्हें विद्यालय छोड़ना पड़ा, तब न्यूयॉर्क मिलिट्री एकेडमी में इन्होंने प्रवेश लिया। उसके बाद उच्च शिक्षा फॉरडहम विश्वविद्यालय एवं पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
डोनाल्ड ट्रम्प का जन्म सिंह लग्न, मिथुन नवांश तथा ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ। जन्मपत्रिका में लग्न में चतुर्थेश-भाग्येश मंगल स्थित है। लग्नेश सूर्य दशम भाव में बली होकर स्थित है तथा राहु-केतु के प्रभाव में है। चन्द्रमा चतुर्थ भाव में नीच राशि का होकर सूर्य से लगग 180 अंश दूर है तथा केतु से अंशात्मक युति बना रहा है। इन योगों के कारण ट्रम्प के स्वभाव में कुछ हद तक उग्रता है। वे शीघ्र ही आवेश में आ जाते हैं और विवादास्पद बयानबाजी कर बैठते हैं। अपने व्यवहार के कारण ही इन्हें 13 वर्ष की आयु में अपना स्कूल छोड़ना पड़ा था।
नवमेश मंगल की लग्न में स्थिति तथा सूर्य की दशम भावस्थ स्थिति पैतृक व्यवसाय के साथ-साथ रियल एस्टेट से सम्बन्धित व्यवसाय की ओर उन्मुख कर रही है। एकादश भाव में स्वराशिस्थ बुध इन्हें नैसर्गिक रूप से व्यावसायिक बना रहा है और अच्छी व्यावसायिक समझ-बूझ दे रहा है। निरयणभावचलित में शनि-शुक्र एकादश ाव में बुध से युति बनाते हैं। इस युति के फलस्वरूप ये फिल्म एवं टेलीविजन क्षेत्र के साथ-साथ होटल, कैसिनो, गोल्फ कोर्स आदि से सम्बन्धित व्यवसायों से भी जुड़े हुए हैं।
ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म, सप्तम ाव में कुम् राशि, सप्तम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि, सप्तमेश शनि एवं सप्तम भाव के नैसर्गिक कारक शुक्र का द्वादश भाव में स्थित होना आदि के कारण डोनाल्ड ट्रम्प का वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा नहीं रहा। इनके तीन विवाह हुए हैं। प्रथम विवाह 31वें वर्ष में 7 अप्रैल, 1977 को इवाना के साथ हुआ और 1991 में इनका तलाक हो गया। दूसरा विवाह 1993 में मार्ला मेपल्स से हुआ, परन्तु यह विवाह भी अधिक नहीं चला और 1997 में मेपल्स से भी तलाक हो गया। 22 जनवरी, 2005 को तीसरा विवाह मेलानिया से हुआ है।
ट्रम्प को प्रथम विवाह से तीन सन्तानें; दो पुत्र एवं एक पुत्री, द्वितीय विवाह से एक पुत्री तथा तीसरे विवाह से एक पुत्र की प्राप्ति हुई है। जन्मपत्रिका में पंचमेश गुरु द्वितीय भाव में स्थित है। पंचम भाव पर द्वितीयेश-आयेश बुध का शुभ प्रभाव है। सप्तमांश में लग्न में स्वराशिस्थ बुध है तथा पंचम भाव में स्वराशिस्थ शनि की शुक्र के साथ युति है। इस प्रकार सन्तान सुख पर्याप्त है।
ट्रम्प ने 18 से भी अधिक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें से 15 पुस्तकें बेस्ट सेलर की श्रेणी में हैं।
दशाओं के साथ जीवन
डोनाल्ड ट्रम्प का जन्म बुध महादशा के अन्तिम चरण में हुआ। बाल्यावस्था में केतु की महादशा रही। शुक्र महादशा में शनि की अन्तर्दशा में इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् बिजनेस में प्रवेश किया। जन्मपत्रिका में महादशानाथ शुक्र तृतीयेश-पराक्रमेश होकर निरयण भाव चलित में एकादश भावस्थ है, वहीं अन्तर्दशानाथ सप्तमेश होकर निरयण भावचलित में एकादश भावस्थ है और दोनों ही एकादशेश बुध से युत हैं। इसी दशा में उन्होंने न्यूयॉर्क में मध्यमवर्गीय लोगों के लिए किराए पर मकान उपलब्ध कराने से सम्बन्धित बिजनेस आरम् किया। रिअल एस्टेट में उनकी इसी से शुरूआत हुई। सन् 1971 में जैसे ही शुक्र महादशा में बुध की अन्तर्दशा आयी, वैसे ही इनका बिजनेस अच्छी गति से चलने लगा। मैनहट्टन में उन्होंने कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट आरम्भ किए। 1974 में जब केतु की अन्तर्दशा थी, तब एक कानूनी विवाद आया, जो अखबारों की सुर्खी बना। यद्यपि 1975 में इससे उनको निजात मिली।
सूर्य की महादशा इनके बिजनेस की दृष्टि से अनुकूल रही। यद्यपि इस दौरान कतिपय तनाव भी रहे, परन्तु प्रायः प्रगति ही अर्जित हुई। चन्द्रमा की महादशा नवम्बर, 1981 से आरम्भ हुई। इसमें आरम्भ से ही कुछ न कुछ परेशानियाँ रहीं। चन्द्रमा में मंगल की अन्तर्दशा में इन्होंने स्पोर्ट्स की ओर रुख किया। यूएस फुटबॉल लीग की न्यू जर्सी जनरल टीम को इन्होंने 1983 में खरीदा, परन्तु उन्होंने इसे जल्द ही बेच दिया। उस समय ये चन्द्रमा में राहु की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। इसके बाद इन्होंने कई बॉक्सिंग मैच अटलांटिक सिटी में अपने ट्रम्प प्लाजा में आयोजित किए, जिसमें 1988 में माइक टायसन का भी एक मैच था। इस दौरान ये चन्द्रमा की महादशा में बुध की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। गोल्फ कोर्स में भी इनकी रुचि रही है। वर्तमान में इनकी कंपनी के पास 18 गोल्फ कोर्स-रेसॉर्ट्स हैं, जो अमेरिका एवं अन्य देशों में हैं। 2015 में इनसे प्राप्त होने वाला कुल राजस्व 382 मिलियन डॉलर था।
चन्द्रमा की महादशा में बुध की अन्तर्दशा के दौरान ही इन्होंने सन् 1988 में अटलांटिक सिटी में बैंक से लोन लेकर ताजमहल कैसिनो अधिगृहीत किया, परन्तु अधिग्रहण करने वाली ट्रम्प की कंपनी लोन की किश्तें नहीं चुका सकी और 1991 को वह कंपनी दिवालिया घोषित हुई। उस समय ट्रम्प चन्द्रमा की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा के प्रभाव में थे। ट्रम्प की कंपनियाँ चार बार दिवालिया घोषित हुई हैं। 1991 में उक्त ‘ट्रम्प ताजमहल’, 1992 में ‘ट्रम्प प्लाजा-होटल एण्ड कैसिनो’ (मंगल में राहु की दशा), 2004 में ‘ट्रम्प होटल्स एण्ड कैसिनो रेसोर्ट्स’ (राहु में शनि की दशा) तथा 2009 में ‘ट्रम्प एंटरटेनमेंट रेसोर्ट्स’ (राहु में केतु) दिवालिया घोषित हो चुकी हैं। यद्यपि व्यक्तिगत रूप से ट्रम्प कभी दिवालिया घोषित नहीं हुए। इस सम्बन्ध में ट्रम्प कहते हैं कि यह व्यक्तिगत नहीं है, यह केवल व्यवसाय है। कई बड़े उद्योगपति ऐसा करते हैं। यह ऋणों को कम करने के लिए कानूनों का उपयोग है। ट्रम्प की जन्मपत्रिका में चन्द्रमा नीच राशिस्थ है, केतु से युत है। सूर्य भी राहु से युत है। इस प्रकार दो ग्रहण योग बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त कालसर्पयोग भी है।
1999 में ट्रम्प की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ, जब उनके पिता की मृत्यु के बाद राहु महादशा में राहु की अन्तर्दशा में गुरु की प्रत्यन्तर्दशा के दौरान उन्हें पैतृक सम्‍पत्ति में अपना हिस्सा मिला। दशम भावस्थ राहु ने जहाँ पितृसुख को नष्ट किया, वहीं दूसरी ओर द्वितीय भावस्थ अष्टमेश गुरु ने वसीयत से पैतृक सम्‍पत्ति प्राप्त करवाई। उसके बाद ट्रम्प ने 2001 में ‘ट्रम्प वर्ल्ड टॉवर’ नामक 72 मंजिली आवासीय इमारत का निर्माण किया, जो कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के पास है। उसके साथ ही उन्होंने ‘ट्रम्प पैलेस’, ‘ट्रम्प इंटरनेशनल होटल’ इत्यादि बड़ी परियोजनाएँ आरम् कीं। राहु में गुरु की अन्तर्दशा (2001-2003) व्यवसाय की दृष्टि से प्रायः ठीक गई, परन्तु राहु में शनि की अन्तर्दशा में पुनः समस्याएँ आयीं और इनकी एक कंपनी ‘ट्रम्प होटल्स एण्ड कैसिनो रिसोर्ट्स’ दिवालिया घोषित हुई।
ट्रम्प की जन्मपत्रिका में पराक्रमेश-कर्मेश शुक्र है। इसलिए शुक्र से सम्बन्धित व्यवसायों में भी ये लगातार सक्रिय रहे हैं। ट्रम्प 1996 से 2015 तक सौन्दर्य प्रतियोगिताओं के स्वामी-आयोजक (अंशतः या पूर्णतः) रहे हैं। इनमें मिस यूनिवर्स, मिस यूएसए एवं मिस टीन यूएसए जैसी प्रतिष्ठित प्रतियोगिताएँ भी हैं। 1999 में इन्होंने एक मॉडलिंग कंपनी ‘ट्रम्प मॉडल मैनेजमेंट’ आरम् की। इन्होंने फिल्में भी बनाईं और उनमें अभिनय भी किया। टेलीविजन के क्षेत्र में भी ये सक्रिय रहे हैं। इनका रियलिटी टेलीविजन शो एनबीसी पर सन् 2004 से 2015 तक लगातार चला।
दशम भावस्थ राहु राजनीति में लेकर जाता है। डोनाल्ड ट्रम्प इसके अपवाद नहीं हैं। ये रोनाल्ड रीगन (1981-89) के समर्थक रहे हैं। 1987 में इन्होंने रिपब्लिकन दल की औपचारिक सदस्यता ले ली और 1999 तक वे इसके सदस्य बने रहे। उसके बाद तीन साल तक ये रिफॉर्म पार्टी में चले गए। सन् 2001 से 2009 तक ये डेमोक्रेटिक रहे। फिर 2009 से (कुछ अवधि को छोड़कर) रिपब्लिकन पार्टी में ही रहे हैं। यद्यपि इस बीच में इन्होंने दोनों ही पार्टियों को चन्दा दिया। 2014 में ये रिपब्लिकन पार्टी को चन्दा देने वालों में सबसे ऊपर थे।
ट्रम्प ने सन् 1988, 2004 और 2012 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का विचार किया और 2006 तथा 2014 में न्यूयॉर्क का गवर्नर बनने का भी विचार किया था। 2013 से ही ट्रम्प रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में प्रेसीडेंट का चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत रहे हैं। 16 जून, 2015 को इन्होंने इसकी घोषणा भी कर दी।
चुनाव में सम्भावनाएँ
डोनाल्ड ट्रम्प वर्तमान में राहु महादशा में मंगल की अन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। यह अन्तर्दशा 14 नवम्बर, 2016 तक रहेगी। जन्मपत्रिका में महादशानाथ राहु दशम भाव में मंगल के नक्षत्र तथा गुरु के उपनक्षत्र में शत्रुराशि वृष में मार्गी होकर सूर्य के साथ स्थित है। नक्षत्रेश मंगल निरयण भाव चलित में द्वादश भावस्थ है तथा उपनक्षत्रेश गुरु द्वितीय भाव में वक्री होकर स्थित है। अन्तर्दशानाथ मंगल चतुर्थेश-भाग्येश होकर निरयण भाव चलित में द्वादश भाव में केतु के नक्षत्र एवं चन्द्रमा के उपनक्षत्र में स्थित है और नक्षत्रेश-उपनक्षत्रेश दोनों ही अंशात्मक युति बनाते हुए चतुर्थ भाव में स्थित हैं, परन्तु केतु मार्गी है, वहीं चन्द्रमा नीच राशिस्थ है।
वर्तमान में 1 जुलाई तक बुध की प्रत्यन्तर्दशा है, जो कि अनुकूल है। उसके बाद आने वाली केतु की प्रत्यन्तर्दशा बहुत अनुकूल नहीं है। यद्यपि केतु बुध के नक्षत्र तथा गुरु के उपनक्षत्र में है, परन्तु वह मार्गी है, इसलिए उससे अनुकूल परिणामों की उम्मीद नहीं की जा सकती। यह प्रत्यन्तर्दशा 23 जुलाई तक रहेगी। इसके पश्चात् शुक्र की प्रत्यन्तर्दशा आएगी, जो कि 25 सितम्बर तक रहेगी। इसमें स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद है। उसके बाद सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा बहुत अच्छी नहीं है। 14 अक्टूबर से आरम्भ होने वाली चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा में ही चुनाव होंगे। चन्द्रमा यद्यपि निरयण भाव चलित में एकादश भावस्थ बुध एवं शनि के नक्षत्र-उपनक्षत्र में स्थित है, परन्तु चन्द्रमा की केतु के साथ अंशात्मक युति के साथ बनने वाला ग्रहणयोग और उसकी नीच राशिस्थ स्थिति होने से बहुत उम्मीद नहीं की जा सकती। http://jyotishsagar.net/donald-trump-candidate-for-president-of-the-united-states-2016/

                                                      Horoscope Of Andy Murray

एंडी मरे : शीर्ष वरीयता प्राप्‍त टेनिस खिलाड़ी

7 नवम्‍बर, 2016 को एंडी मरे प्रोफेशनल टेनिस में विश्‍व के नम्‍बर एक खिलाड़ी बन गए हैं। उन्‍होंने सन् 2011 से पहली व‍रीयता पर स्‍थापित नोवक जोकोविच को पीछे छोड़कर यह उपलब्धि अर्जित की है। स्‍ कॉटलेंड के एंडी मरे के लिए यह वर्ष अत्‍यन्‍त शुभफलदायक रहा है। इसी वर्ष उन्‍होंने विम्‍बलडन चैपिंयन शिप जीती, ओलम्पिक गोल्‍ड मेडल जीता और अब नम्‍बर वन खिलाड़ी बन गए हैं। आइए, एंडी मरे की जन्‍मपत्रिका के अनुसार देखते हैं कि उनके लिए यह वर्ष इतना भाग्‍यशाली क्‍यों है।
एंडी मरे नए खिलाड़ी नहीं हैं। वे सन् 2005 से प्रोफेशनल टेनिस प्‍लेयर हैं और अगले ही वर्ष वे ब्रिटेन के शीर्ष वरीयता प्राप्‍त टेनिस खिलाड़ी बन गए। सन् 2007 में विश्‍व की टेनिस वरीयता सूची में प्रथम 10 खिलाडि़यों में आ गए सन् 2012 में उन्‍होंने पहला ग्रेंडस्‍लेम यूएस ओपन जीता और उसी वर्ष उन्‍होंने ओलम्पिक का गोल्‍ड मेडल भी जीता। सन् 2013 भी उनके लिए अच्‍छा रहा। उस वर्ष उन्‍होंने दूसरा ग्रेंडस्‍लेम विम्‍बलडन जीता। उनके कॅरिअर का 11वॉं वर्ष उनके लिए स्‍वर्णिम वर्ष रहा है।
स्‍कॉटलेंड खिलाड़ी एंडी मरे का जन्‍म सिंह लग्‍न एवं तुला नवांश में 15 मई, 1987 को ग्‍लासगो में हुआ था। सितम्‍बर, 2015 से वे शुक्र महादशा में केतु की अन्‍तर्दशा के प्रभाव में हैं। अन्‍तर्दशानाथ केतु द्वितीय भाव में स्थित होकर उपलब्धिकारक समय का संकेत कर रहा है। वर्तमान में बुध की प्रत्‍यन्‍तर्दशा है। बुध स्‍वयं द्वितीयेश एवं एकादशेश होकर दशम भाव में स्थित है और उपलब्धिकारक है।


                   Horoscope Analysis of Hillary Clinton

                  संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव-2016 : ज्योतिषीय विश्लेषण

डेमोक्रेटिक उम्मीदवार : हिलेरी क्लिंटन

Published in Jyotish Sagar September, 2016 Issue on 20th August, 2016
28 जुलाई, 2016 को डेमोक्रेटिक पार्टी ने अन्ततः हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए आधिकारिक तौर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। ये अमेरिका के इतिहास में पहली महिला हैं, जिन्हें किसी बड़े राष्ट्रीय दल ने राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया हो। हिलेरी क्लिंटन ओबामा सरकार में सन् 2013 तक विदेश मन्त्री रही हैं। इन्होंने सन् 2001 से 2009 तक न्यूयार्क का कनिष्ठ सीनेटर के रूप में प्रतिनिधित्व किया। ये पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हैं और इस नाते सन् 1993 से 2001 के मध्य संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रथम महिला रहीं।
हिलेरी क्लिंटन का जन्म 26 अक्टूबर, 1947 को इलिनॉय प्रान्त के शिकागो नामक नगर में हुआ था। इनके पिता ह्यूग रोढ़म का कपड़े का व्यवसाय था। इनकी माता डॉर्थी एमा हॉवेल घरेलू महिला थीं। इनके दो छोटे भाई हैं।
हिलेरी का बचपन में अन्तरिक्ष यात्री बनने का सपना था, परन्तु उस समय महिलाओं को अन्तरिक्ष कार्यक्रमों में नहीं लिया जाता था। इनकी स्कूली शिक्षा मैने ईस्ट हाई स्कूल एवं मैने साउथ हाई स्कूल में हुई। छात्र जीवन में भी इन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया। अध्ययन के साथ-साथ अन्य क्षत्रों में भी इनकी उपलब्धियाँ उल्लेखनीय थीं। सन् 1965 में वेलेस्ले कॉलेज में दाखिला लिया और वहाँ वे रिपब्लिकन पार्टी के छात्र समूह से जुड़ गईं, परन्तु अमरिकी नागरिक अधिकार आन्दोलन तथा वियतनाम युद्ध की घटनाओं ने उनके विचारों में परिवर्तन किया और वे डेमोक्रेटिक हो गईं। वेलेस्ले कॉलेज से उन्होंने राजनीति विज्ञान में बी.ए. की उपाधि सन् 1969 में प्राप्त की। वेलेस्ले कॉलेज में दिए गए भाषण से वे तब सुर्खियों में आयीं। जब उन्होंने अपने भाषण में सीनेटर ब्रुक की आलोचना की।
येल लॉ स्कूल से इन्होंने लॉ की डिग्री सन् 1973 में प्राप्त की। उसके बाद येल चाइल्ड स्टडी सेंटर से स्नातकोत्तर किया। येल लॉ स्कूल के दिनों में इन्होंने बच्चों के मामलों में सक्रियता दिखाई और स्नातकोत्तर भी इसी विषय में किया।
शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् हिलेरी ने अरकांसास प्राप्त में एक अधिवक्ता के रूप में अपना कॅरिअर आरम्भ किया। सन् 1988 तथा 1991 में उन्हें अमेरिका के 100 सबसे प्रभावशाली वकीलों में सूचीबद्ध किया गया।
हिलेरी क्लिंटन के उपलब्ध जन्मविवरण के अनुसार उनका जन्म 26 अक्टूबर, 1947 को तुला लग्न एवं मिथुन नवांश में शिकागो (इलिनॉय) में हुआ था। उनकी जन्मपत्रिका में लग्न में सूर्य नीच राशिस्थ है, परन्तु उसका नीच भंग हो रहा है। लग्न में लग्नेश शुक्र स्वराशिस्थ होकर जहाँ मालव्य योग का निर्माण कर रहा है, वहीं भाग्येश बुध के साथ उसकी युति राजयोग का निर्माण कर रही है।

संयुक्त राज्य अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव-2016 : ज्योतिषीय विश्लेषण

कौन बनेगा अमेरिका का राष्ट्रपति?

Published in Jyotish Sagar October, 2016 Issue on 20th September, 2016
8 नवम्बर, 2016 को होने वाले आम चुनाव के लिए अमेरिका में बिसात बिछ चुकी है। मुख्य मुकाबला डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के बीच है।
हिलेरी क्लिंटन की जन्मपत्रिका में कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है। योगकारक शनि का कर्मेश चन्द्रमा से राशि परिवर्तन सम्बन्ध है, वहीं दशम भाव में शनि-मंगल की युति दूसरे राजयोग का निर्माण कर रही है। मंगल यद्यपि नीच राशिस्थ है, परन्तु उसका नीचभंग हो रहा है। द्वितीयेश-सप्तमेश कर्मभावस्थ मंगल का दृष्टि प्रभाव भाग्येश बुध एवं लग्नेश शुक्र पर है, जो कि एक अन्य राजयोग का निर्माण करता है। लग्न में बुध-शुक्र की युति भी श्रेष्ठ राजयोग का निर्माण कर रही है। एकादशेश सूर्य के साथ भाग्येश बुध की लग्न में युति श्रेष्ठ बुधादित्य योग का निर्माण करती है। सर्वाष्टक वर्ग में नवम से एकादश भाव में बढ़ती हुई शुभ रेखाएँ हैं, वहीं दशम एवं एकादश भाव क्रमशः 40 एवं 44 शुभ रेखाएँ प्राप्त कर सर्वाधिक बली हैं। इस प्रकार हिलेरी की जन्मपत्रिका में पर्याप्त राजयोग विद्यमान हैं।
हिलेरी की नवांश कुण्डली में नवांश भाग्येश शनि की कर्म भाव में स्थिति है और उस पर नवांश कर्मेश गुरु का दृष्टि प्रभाव है, जो कि राजयोग का निर्माण कर रहा है। लग्न में नवांश लग्नेश बुध चन्द्रमा के साथ स्थित है तथा सूर्य से द्रष्ट है। दशमांश में भी कर्म दशमांशेश मंगल योगकारक होकर तृतीय भाव में भाग्य दशमांशेश गुरु के साथ युति सम्बन्ध बनाकर राजयोग का निर्माण कर रहा है और दोनों की भाग्य भाव पर पूर्णदृष्टि है, वहीं सप्तम दशमांशेश शनि का योगकारक मंगल के साथ परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है। इस प्रकार वर्ग कुण्डलियों में भी अनुकूल स्थिति है।
हिलेरी क्लिंटन
जन्म दिनांक : 26 अक्टू., 1947
जन्म समय : 08ः02 बजे
जन्म स्थान : शिकागो (संयुक्त राज्य अमेरिका)
हिलेरी वर्तमान में एकादशेश सूर्य की महादशा में राहु की अन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। राहु अष्टम भाव में कृत्तिका नक्षत्र में स्थित है। जून, 2016 तक राहु की प्रत्यन्तर्दशा थी, जो कि बाधाकारक थी। अन्त तक उनकी उम्मीदवारी को लेकर उतार-चढ़ाव आते रहे। 17 जुलाई के बाद जैसे ही शनि की प्रत्यन्तर्दशा आयी, वैसे ही उन्हें आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार घोषित किया गया। 7 सितम्बर के बाद बुध की प्रत्यन्तर्दशा है। बुध की यह दशा भी उनके लिए अनुकूल फलदायक है। इसमें उनके पक्ष में माहौल बनेगा। 24 अक्टूबर के बाद केतु की प्रत्यन्तर्दशा रहेगी। जन्मपत्रिका में केतु द्वितीय भाव में स्थित है और उपलब्धिकारक बन रहा है। केतु का नक्षत्रेश गुरु भी द्वितीय भावस्थ है, वहीं उपनक्षत्रेश चन्द्रमा पंचम भाव में स्थित होकर एकादश भाव पर दृष्टि डाल रहा है तथा शनि के साथ राशि परिवर्तन कर राजयोग का निर्माण कर रहा है। इसी केतु की प्रत्यन्तर्दशा में ही आम चुनाव होंगे। इसलिए दशाओं की दृष्टि से हिलेरी क्लिंटन की स्थिति अनुकूल दिखाई दे रही है।
डोनाल्ड ट्रम्प
जन्म दिनांक : 14 जून, 1946
जन्म समय : 10ः54 बजे
जन्म स्थान : जमैका, न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका)
जहाँ तक डोनाल्ड ट्रम्प का प्रश्‍न है, तो उनकी जन्मपत्रिका में लग्नेश सूर्य दशम भाव में राहु के साथ युत है। लग्न में चतुर्थेश-भाग्येश मंगल योगकारक होकर स्थित है, परन्तु उसका परस्पर सम्बन्ध किसी अन्य ग्रह से नहीं हो रहा है। सर्वाष्टक वर्ग में भाग्य भाव में 30 रेखाएँ, दशम भाव में 34 रेखाएँ और एकादश भाव में 30 रेखाएँ हैं, जो कि औसत स्थिति का ही प्रमाण दे रही हैं।
जहाँ तक नवांश का प्रश्न है, तो नवांश लग्नेश बुध का नवांश कर्मेश गुरु के साथ परस्पर दृष्टि सम्बन्ध है। दशमांश में भी लग्न दशमांशेश शुक्र षष्ठ भाव में उच्च राशि में है और चतुर्थ-पंचम दशमांशेश शनि के साथ युत है। नवांश एवं दशमांश दोनों में सूर्य-राहु तथा चन्द्रमा-केतु की युति है। इस प्रकार वर्ग कुण्डलियों में उनकी मध्यम स्थिति है।
जहाँ तक दशाओं का प्रश्न है, तो डोनाल्ड वर्तमान में राहु की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। जन्मपत्रिका में अन्तर्दशानाथ मंगल चतुर्थेश-भाग्येश होकर लग्नस्थ है तथा केतु के नक्षत्र में स्थित है और केतु चतुर्थ भाव में चन्द्रमा के साथ युत है। ट्रम्प 25 सितम्बर तक शुक्र की प्रत्यन्तर्दशा के प्रभाव में हैं। शुक्र तृतीयेश-कर्मेश होकर द्वादश भाव में गुरु के नक्षत्र में स्थित है और गुरु द्वितीय भावस्थ है। नक्षत्रेश की अनुकूल स्थिति के चलते कुछ हद तक यह दशा उनके लिए लादायक रहनी चाहिए। 25 सितम्बर से 14 अक्टूबर तक वे सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा के प्रभाव में रहेंगे। सूर्य जन्मपत्रिका में राहु के साथ दशम भाव में सन्धिगत स्थिति में है तथा उसका नक्षत्रेश मंगल है, जो कि लग्नस्थ है। इस प्रकार सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा बहुत अधिक अनुकूल नहीं रहनी चाहिए। 14 अक्टूबर के बाद 15 नवम्बर तक चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा रहेगी, चन्द्रमा द्वादशेश होकर चतुर्थ भाव में केतु के साथ अंशात्मक युति बनाते हुए बुध के नक्षत्र में स्थित है। बुध एकादश भाव में हैं, जो कि अन्तिम समय में उनकी स्थिति को कुछ हद तक ठीक करेगा।
हिलेरी क्लिंटन एवं डोनाल्ड ट्रम्प दोनों की कुण्डलियों का तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि 14 अक्टूबर तक हिलेरी क्लिंटन आगे रहेंगी, उसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प की स्थिति में भी कुछ हद तक सुधार होगा और वे अच्छी टक्कर दे पाने में समर्थ होंगे। कुण्डली एवं दशाओं के आधार पर हिलेरी क्लिंटन की स्थिति मजबूत लग रही है और सम्भव है कि वे अमेरिका के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में व्हाइट हाउस को सुशोभित करें।
http://jyotishsagar.net/donald-trump-vs-hillary-clinton-who-will-be-the-next-president-of-usa/

 

Wednesday, 2 November 2016

November, 2016 Issue of Jyotish Sagar has been published now. This is a special issue on
“Navamsha” System of prediction. This issue is now available on magazine stores and book sellers.


Thursday, 27 October 2016

October, 2016 Issue of Jyotish Sagar has been published. This is a special issue on “ Navratra and Deepawali 2016”. This issue is now available on magazine stores and book sellers.
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October, 2016 Second Issue of Jyotish Sagar has been published. This is a special on “Deepawali (30th October, 2016)”. This issue is now available on magazine stores and book sellers.
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                                     Deepavali Poojan Muhurat 30th October 2016.

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Monday, 22 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 23/08/2016 मंगलवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : भाद्रपद; पक्ष : कृष्ण; तिथि : षष्ठी 24:39 तक तदुपरान्त सप्तमी; नक्षत्र : अश्विनी 15:13 तक तदुपरान्त भरणी; योग : वृद्धि 25:46 तक तदुपरान्त ध्रुव; करण : गर 13:53 तक तदुपरान्त वणिज 24:39; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:58 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 18:50 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 24:39 से (निवास : स्वर्ग), चान्द्र षष्ठी व्रत, हल षष्ठी, श्री बलदेव जयन्ती, अमृतसिद्धियोग सूर्योदय से 15:13 तक, रवियोग 15:13 से, कुमारयोग 15:13 तक, राजयोग 24:39 से, राष्ट्रीय शक संवत् का भाद्रपद मास प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : कन्या; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : ज्ञानवेला 24:39 तक तदुपरान्त श्मशान।

Saturday, 20 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 22/08/2016 सोमवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : भाद्रपद; पक्ष : कृष्ण; तिथि : चतुर्थी 05:44 तक तदुपरान्त पंचमी 27:09; नक्षत्र : रेवती 16:58 तक तदुपरान्त अश्विनी; योग : शूल 08:04 तक तदुपरान्त गण्ड; करण : बालव 05:44 तक तदुपरान्त कौलव 16:26 तक तदुपरान्त तैतिल 27:09; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:57 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 18:51 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक समाप्त 16:58 बजे, सूर्य सायन कन्या में 22:09 बजे, शरद ऋतु प्रारम्भ, रक्षा पंचमी (ओडीशा), कुमारयोग 16:58 से राष्ट्रीय शक संवत् का श्रावण मास समाप्त, शुक्र उ.फा. में 18:40 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन में (16:58 बजे) तक तदुपरान्त मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : कन्या; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, आग्नेय।

शिववास : कैलास 05:44 तक तदुपरान्त वृषारुढ।
दैनिक पंचांग : दिनांक 21/08/2016 रविवार, 
 विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : भाद्रपद; पक्ष : कृष्ण; तिथि : तृतीया 08:18 तक तदुपरान्त चतुर्थी; नक्षत्र : उ.भा. 18:46 तक तदुपरान्त रेवती; योग : धृति 11:14 तक तदुपरान्त शूल; करण : विष्टि 08:18 तक  तदुपरान्त बव 19:01; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:57 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 18:53 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 08:18 तक (निवास : पृथ्वी), चतुर्थी तिथि क्षय, सातुडी तीज, कजली तीज व्रत, संकष्ट चतुर्थी व्रत, बहुला चौथ (मध्यप्रदेश), श्रवण तपस्या समाप्त (जैन धर्म), राजयोग सूर्योदय से 08:18 तक, सर्वार्थसिद्धियोग सूर्योदय से 18:46 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : कन्या; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा (08:18) तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 10 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 11/08/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : अष्टमी 13:00 तक तदुपरान्त नवमी; नक्षत्र : विशाखा 17:44 तक तदुपरान्त अनुराधा; योग : ब्रह्म 26:42 तक तदुपरान्त ऎन्द्र; करण : बव 13:00 तक तदुपरान्त बालव 26:04; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:51 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:01 बजे।

व्रत-पर्व : दुर्गाष्टमी, सर्वार्थसिद्धियोग 17:44 से आगामी सूर्योदय तक, रवियोग 17:44 से, गुरु कन्या में 21:28 बजे, शुक्र पू.फा. में 21:56 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : तुला में (11:02) बजे तक तदुपरान्त वृश्चिक; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : श्मशान (13:00) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Tuesday, 9 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 10/08/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : सप्तमी 10:39 तक तदुपरान्त अष्टमी; नक्षत्र : स्वाती 14:52 तक तदुपरान्त विशाखा; योग : शुक्ल 25:55 तक तदुपरान्त ब्रह्म; करण : वणिज 10:39 तक तदुपरान्त विष्टि 23:51; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:50 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:02 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 10:39 से 23:51 तक (निवास : पाताल), गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती, शीतला सप्तमी।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : तुला; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : ज्ञानवेला 10:39 तक तदुपरान्त श्मशान।

Monday, 8 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 09/08/2016 मंगलवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : षष्ठी 08:14 तक तदुपरान्त सप्तमी; नक्षत्र : चित्रा 11:53 तक तदुपरान्त स्वाती; योग : शुभ 24:58 तक तदुपरान्त शुक्ल; करण : तैतिल 08:14 तक तदुपरान्त गर 21:26; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:50 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:03 बजे।

व्रत-पर्व : वर्ण षष्ठी, श्रियाल छठ, मंगलागौरी पूजा, रवियोग 11:53 तक, द्विपुष्करयोग 08:14 से 11:53 तक, राजयोग 08:14 से 11:53 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : तुला; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : वृषारुढ 08:14 तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Friday, 5 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 06/08/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : चतुर्थी 28:05 तक तदुपरान्त पंचमी; नक्षत्र : उ.फा. तक तदुपरान्त उ.फा.; योग : शिव 22:48 तक तदुपरान्त सिद्ध; करण : वणिज 15:19 तक तदुपरान्त विष्टि 28:05; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:48 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:05 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 15:19 से 28:05 तक (निवास : पाताल), वरद विनायक चतुर्थी, अश्वत्थ मारुति पूजन, श्रवण तपस्या प्रारम्भ (जैन धर्म), रवियोग सम्पूर्ण दिन-रात।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : सिंह में (10:54) बजे तक तदुपरान्त कन्या; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:00 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : क्रीडा (28:05) तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 3 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 04/08/2016 गुरुवार, 
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : द्वितीया 25:55 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : मघा 26:58 तक तदुपरान्त पू.फा.; योग : वरियान 23:12 तक तदुपरान्त परिघ; करण : बालव 13:46 तक तदुपरान्त कौलव 25:55; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:47 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:07 बजे।

व्रत-पर्व : सिंजारा (राजस्थान), चन्द्रदर्शन (30 मुहूर्ती), उत्तर शृंगोन्नति, हिजरी सन का शव्वाल मास समाप्त, बुध पू.फा. में 24:47 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : सिंह; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (25:55) तक तदुपरान्त सभा।

Tuesday, 2 August 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 03/08/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : शुक्ल; तिथि : प्रतिपदा 25:47 तक तदुपरान्त द्वितीया; नक्षत्र : अश्लेषा 26:07 तक तदुपरान्त मघा; योग : व्यतीपात 24:08 तक तदुपरान्त वरियान; करण : किंस्तुघ्न 13:56 तक तदुपरान्त बव 25:47; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:47 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:08 बजे।

व्रत-पर्व : नक्त व्रत प्रारम्भ, श्रावण शुक्लपक्ष प्रारम्भ, श्रावण मास (अमान्त) प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कर्क में (26:07) बजे तक तदुपरान्त सिंह; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : सिंह; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : श्मशान (25:47) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Friday, 29 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 30/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : एकादशी 08:34 तक तदुपरान्त द्वादशी; नक्षत्र : मृगशिरा 27:56 तक तदुपरान्त आर्द्रा; योग : ध्रुव 10:48 तक तदुपरान्त व्याघात; करण : बालव 08:34 तक तदुपरान्त कौलव 19:31; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:45 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:10 बजे।

व्रत-पर्व : कामिका एकादशी व्रत (सभी का), द्विपुष्करयोग 08:34 से 27:56 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : वृषभ में (16:34) बजे तक तदुपरान्त मिथुन; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास (08:34) तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 28 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 29/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : दशमी 10:47 तक तदुपरान्त एकादशी; नक्षत्र : कृत्तिका 06:41 तक तदुपरान्त रोहिणी 29:14; योग : वृद्धि 13:38 तक तदुपरान्त ध्रुव; करण : विष्टि 10:47 तक तदुपरान्त बव 21:40; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:44 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:11 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 10:47 तक (निवास : स्वर्ग), रोहिणी व्रत (जैन धर्म), कुमारयोग 06:41 से 29:14 तक, यूरेनस वक्री 26:35 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : वृषभ; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा 10:47 तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 27 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 28/07/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : नवमी 13:04 तक तदुपरान्त दशमी; नक्षत्र : भरणी 08:11 तक तदुपरान्त कृत्तिका; योग : गण्ड 16:33 तक तदुपरान्त वृद्धि; करण : गर 13:04 तक तदुपरान्त वणिज 23:55; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:44 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:11 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 23:55 से (निवास : स्वर्ग), गुरु हरकिशन जयन्ती (प्राचीन मत से)।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मेष में (13:48) बजे तक तदुपरान्त वृषभ; मंगल : वृश्चिक; बुध : सिंह; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  13:30 से 15:00 बजे।

दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।

शिववास : सभा (13:04) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 26 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 27/07/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : अष्टमी 15:22 तक तदुपरान्त नवमी; नक्षत्र : अश्विनी 09:40 तक तदुपरान्त भरणी; योग : शूल 19:28 तक तदुपरान्त गण्ड; करण : कौलव 15:22 तक तदुपरान्त तैतिल 26:13; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:43 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:12 बजे।

व्रत-पर्व : बुध सिंह एवं मघा में 07:11 बजे ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास : गौरीपार्श्‍व (15:22) तक तदुपरान्त सभा।
                                            बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी ... 





भारतीय सिनेमा की सबसे महान् अभिनेत्री मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम ज़हां देहलवी था। उनका जन्‍म 14 फरवरी, 1933 को दिल्‍ली में एक पठान परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की पॉंचवीं  सन्‍तान थीं। उनके पिता अताउल्ला खां पेशावर की एक तम्‍बाकू कम्‍पनी में  काम करते थे। उनकी माता बेगम आयीशा घरेलू महिला थीं। उनके कुल 11 सन्‍तानें हुई।
मधुबाला का जब जन्‍म हुआ, तब उनका भविष्‍य कश्‍मीर वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध नजूमी (ज्‍योतिर्विद्) ने कुछ इस प्रकार बताया ''बड़ी होकर यह लड़की बहुत नाम कमाएगी, बहुत पैसा और शोहरत पाएगी, ल‍ेकिन ...'' बाबा कुछ देर तक रुके और फिर उन्‍होंने आगे कहा कि ''यह लड़की अपनी आयु से पहले चल बसेगी।'' यह भविष्‍यवाणी पूर्णतः सत्‍य सि‍द्ध हुई।
दिल्‍ली से इनके पिता बम्‍बई आ गए। वहॉं भी गरीबी के माहौल में रहना पड़ा। सन् 1942 में बेबी मुमताज के नाम से उनका 'बसन्‍त' फिल्‍म से फिल्‍मों में आगाज़ हुआ। कहते हैं कि देविका रानी को उनका काम बहुत पसन्‍द आया और उनका नाम मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया। उनकी मुख्‍य भूमिका में पहली फिल्‍म सन् 1947 में नीलकमल आयी। उसके बाद उन्‍हें सिनेमा की 'सौन्‍दर्य देवी' के नाम से जाना जाने लगा। महल, चलती का नाम गाड़ी, मुगल-ए-आज़म, हॉफ टिकिट  आदि उनकी यादगार फिल्‍में हैं। सन् 1960 में जब मुगल-ए-आज़म आयी, तो वे शोहरत, पैसा एवं सफलता के चरम पर थीं। सन् 1960 में ही उन्‍होंने किशोर कुमार के साथ विवाह किया।
मधुबाला को हृदयरोग था, उनके हृदय में छेद था। उनका शरीर खून ज्‍यादा बनाने लगा और वो नाक एवं मुंह से निकलने लग जाता था, इसलिए डॉक्‍टर अतिरिक्‍त खून को निकालते थे। सन् 1960 के बाद उनकी हालत और खराब होने लगी। सन् 1966 में उन्‍हें कुछ सुधार महसूस होने लगा, तो उन्‍होंने अधूरी पड़ी फिल्‍म को करने का प्रयास किया, परन्‍तु नहीं कर पायीं। सन् 1969 में मधुबाला ने निर्देशन में कदम बढ़ाने का विचार किया, परन्‍तु 23 फरवरी, 1969 को 36 वर्ष की अवस्‍था में उनका देहान्‍त हो गया।

Monday, 25 July 2016

                                                   'कबाली' को मिली अपार सफलता

 शुक्रवार को देश के अनेक सिनेमाघरों में सुबह 02:00 बजे से ही अपार भीड थी। 300 रुपए का टिकट 3000 रुपए में बिक रहा था। लोग लंदन, अमेरिका, मलेशिया, इण्‍डोनेशिया पता नहीं किस-किस देश से भारत के सिनेमाघरों में पहला शो देखने के लिए आ रहे थे। कहते हैं कि एयरलाइन्‍स ने भी किराया बढ़ा  दिया था। अमूमन पहला शो दोपहर 12:00 बजे से चालू होता है, परन्‍तु 22 जुलाई को पहला शो सुबह 2-3 बजे ही चालू हो गया। सिनेमाघरों में उत्‍सव का माहौल था।
यह नजारा 22 जुलाई को रिलीज हुई रजनीकान्‍त की 'कबाली' के लिए था। इस फिल्‍म की एक दिन की कमाई ने सारे रिकॉर्ड तोड दिए। वहीं दूसरी ओर रजनीकान्‍त अपनी फिल्‍म का स्‍वयं प्रमोशन नहीं करते। आजकल उत्तर भारत के सभी अभिनेता चाहे वे अमिताभ बच्‍चन हों अथवा सलमान या आमिर हों, सभी अपनी-अपनी फिल्‍मों का प्रमोशन न केवल विभिन्‍न शहरों में जाकर वरन् टेलीविजन आदि पर करते हैं। फिल्‍म का प्रमोशन न करते हुए भी कबाली की सफलता का राज़ रजनीकान्‍त के स्‍टारडम में ही है। पिछले तीन दिनों से सिनेमाहॉलों पर लोग रजनीकान्‍त के कटआउट या पोस्‍टर पर फूल चढा रहे हैं। ढोल-नगाडे बजा रहे हैं। कुछ तो उस पर दूध से स्‍नान करवा रहे थे। ऐसा स्‍टारडम देश-विदेश में किसी का नहीं है। जानकार मानते हैं कि रजनीकान्‍त जैसा स्‍टारडम न पहले कभी हुआ और न आगे कभी होगा।
रजनीकान्‍त वर्तमान में शनि महादशा में गुरु की अन्‍तर्दशा में बुध की प्रत्‍यन्‍तर्दशा के प्रभाव में हैं। बुध उनकी जन्‍मकुण्‍डली में एकादशेश धनेश होकर पंचम भाव में शुक्र के साथ स्थित है। इस प्रकार प्रत्‍यन्‍तर्दशानाथ बुध सफलता एवं आय प्राप्ति का कारक बन रहा है। अपार सफलता नक्षत्रेश शुक्र के साथ प्रत्‍यन्‍तर्दशानाथ बुध की युति के कारण है, क्‍योंकि शुक्र लग्‍न एवं पंचम भाव का नक्षत्रेश है और पंचम भाव में ही स्थित है। दोनों एकादश भाव को अपनी पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं।
                                                     सितारा क्रिकेटर रविचन्‍द्रन अश्विन

एंटिगुआ में वेस्‍टइंडीज को एक पारी और 92 रन से टेस्‍ट के चौथे दिन ही हराने में मुख्‍य हीरो रहे रविचन्‍द्रन अश्विन ने अपना आलराउंड प्रदर्शन दिखाते हुए पहली पारी में शतक और दूसरी पारी में सात विकेट झटक कर एक ओर भारत की एशिया के बाहर सबसे बड़ी जीत की इबारत लिख दी, वहीं दूसरी ओर वेस्‍टइंडीज में सफलतम भारतीय गेंदबाज भी बन गए। अश्विन भारत के एक मात्र गेंदबाज हैं, जिन्‍होंने किसी मैच में सात विकेट लिए हों और शतक भी जड़ा हो। इस प्रकार के कारनामे करने वाले वे विश्‍व के तीसरे खिलाड़ी हैं। जैक ग्रेगरी और इयान बाथम ने यह कारनामा इनसे पहले किया था। वेस्‍टइंडीज के खिलाफ यह उनकी तीसरी सेंच्‍युरी थी।
सन् 2011-2012 के सत्र में रविचन्‍द्रन अश्विन ने जब टेस्‍ट क्रिकेट का आगाज़ किया था, तब ''ज्‍योतिष सागर'' ने इन्‍हें ''सितारा क्रिकेटर'' की संज्ञा दी थी। पिछले पॉंच वर्षों में उनका प्रदर्शन सितारा क्रिकेटर की भॉंति ही रहा है। टेस्‍ट क्रिकेट में ये विश्‍व के पहली वरीयता प्राप्‍त ऑलराउंडर हैं।
रविचन्‍द्रन अश्विन की कुण्‍डली में चन्‍द्र-गुरु की युति श्रेष्‍ठ गजकेसरीयोग बना रही है, वहीं उच्‍चराशिस्‍थ बुध सूर्य से युत होकर बुधादित्‍य योग का निर्माण कर रहा है। चन्‍द्रमा से तृतीय-दशम भाव का स्‍वामी मंगल एकादश भाव में स्थित होकर खेलों में सफलता को सुनिश्चित कर रहा है, वहीं भाग्‍य भाव का स्‍वामी शुक्र भाग्‍य भाव में स्‍वराशिस्‍थ है और कालसर्प के दुष्‍प्रभाव को काफी हद तक दूर कर रहा है।

दैनिक पंचांग : दिनांक 26/07/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : सप्तमी 17:36 तक तदुपरान्त अष्टमी; नक्षत्र : रेवती 11:06 तक तदुपरान्त अश्विनी; योग : धृति 22:22 तक तदुपरान्त शूल; करण : विष्टि 06:42 तक तदुपरान्त बव 17:36 तक तदुपरान्त बालव 28:30; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:43 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:12 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक 11:06 बजे तक, भद्रा 06:42 तक (निवास : पृथ्वी), मंगलागौरी पूजा, कालाष्टमी, शीतला सप्तमी (ओडिशा), केर पूजा (त्रिपुरा), रवियोग 11:06 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 11:06 से आगामी सूर्योदय तक, अमृतसिद्धियोग 17:36 से आगामी सूर्योदय तक, मंगल अनुराधा में 11:42 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन में (11:06) बजे तक तदुपरान्त मेष; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल : वायव्य, उत्तर।

शिववास : श्मशान (17:36) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Saturday, 23 July 2016

दैनिक पंचांग : दिनांक 25/07/2016 सोमवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : षष्ठी 19:46 तक तदुपरान्त सप्तमी; नक्षत्र : उ.भा. 12:26 तक तदुपरान्त रेवती; योग : सुकर्मा 25:11 तक तदुपरान्त धृति; करण : गर 08:47 तक तदुपरान्त वणिज 19:46; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:42 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:13 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 19:46 से (निवास : पृथ्वी), प्रथम श्रावण वन सोमवार व्रत, रवियोग 12:26 से।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मीन; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  07:30 से 09:00 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, आग्नेय।

शिववास : ज्ञानवेला (19:46) तक तदुपरान्त श्मशान।
दैनिक पंचांग : दिनांक 24/07/2016 रविवार, 
 विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : पंचमी 21:47 तक तदुपरान्त षष्ठी; नक्षत्र : पू.भा.13:37 तक तदुपरान्त उ.भा.; योग : शोभन 06:29 तक तदुपरान्त अतिगण्ड 27:54 तक तदुपरान्त सुकर्मा; करण : कौलव 10:44 तक तदुपरान्त तैतिल 21:47; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:42 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:13 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, नागपंचमी (राजस्थान, बंगाल आदि में), सर्वार्थसिद्धियोग 13:37 से आगामी सूर्योदय तक, गुरु उ.फा. में 20:36 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ में (07:53) मीन; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 16:30 से 18:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : वृषारुढ (21:47) तक तदुपरान्त ज्ञानवेला।

Friday, 22 July 2016

                                               बिम्बिसार की मृत्‍यु की वह भविष्‍यवाणी  


इतिहास में ज्‍योतिष की अनेक भविष्‍यवाणियों का उल्‍लेख मिलता है, जो कि आश्‍चर्यजनक रूप से सत्‍य हुईं। उनसे एक ओर जहॉं ज्‍योतिर्विदों की महानता की जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर भारत में ज्‍योतिष के विकसित स्‍वरूप के साक्ष्‍यों का भी पता लगता है। ऐसी ही एक प्रसिद्ध भविष्‍यवाणी बिम्बिसार के सम्‍बन्‍ध में की गई थी। बिम्बिसार 544 ईस्‍वीपूर्व से 493 ईस्‍वीपूर्व तक मगध का राजा था। वह हर्यक वंश का संस्‍थापक एवं शक्तिशाली शासक था। उसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया और मगध को एक साम्राज्‍य के रूप में विकसित किया, इसलिए उसे मगध साम्राज्‍य का वास्तविक संस्‍थापक माना जाता है। बिम्बिसार 15 वर्ष की आयु में ही राजा बन गया था और उसने लगभग 52 वर्ष राज्‍य किया।
बिम्बिसार की पत्‍नी महाकोशला जब गर्भवती हुई, तो बिम्बिसार बड़ा प्रसन्‍न हुआ। उसने अपने पुत्र के बारे में कई तरह के सपने देखना शुरू कर दिया। इसी बीच उसे एक युद्ध अभियान में जाना पड़ा। उसके पीछे से महाकोशला ने एक शिशु को जन्‍म दिया। उस शिशु के बारे में यह भविष्‍यवाणी की गई कि वह अपने पिता की हत्‍या करेगा। इसे सुनकर महाकोशला को बड़ा दुःख हुआ और उसने नियति को बदलने का प्रयास किया। नवजात शिशु को उसने जंगल में छुड़वा दिया। संयोग से कुछ समय बाद ही बिम्बिसार का वहॉं होकर लौटना हुआ, तो उसने छोटे बालक को देखा और उसे अपने साथ यह सोचकर ले लिया कि यह भी राजकुमार के साथ बड़ा होगा और उसके साथ खेलता रहेगा। बिम्बिसार जब वापस अपने महल में पहुंचा तो उसे ज्ञात हुआ कि रानी महाकोशला ने पुत्र को जन्‍म दिया है। बिम्बिसार महाकोशला के भवन में पहुंचा और अपने पुत्र को देखने की मंशा जताई, तब महाकोशला ने उसे किसी तरह कुछ दिनों तक के लिए उसे टाल दिया। बाद में उसने कहा कि उसने जन्‍म के बाद ही नवजात शिशु को जंगल में छुड़वा दिया था, क्‍योंकि उसके बारे में भविष्‍यवाणी की गई थी कि वह आपकी हत्‍या करेगा। बिम्बिसार को दुःख तो हुआ, परन्‍तु महाकोशला के त्‍याग पर गर्व पर भी हुआ। समय व्‍यतीत होने लगा, उधर जंगल से लाया बालक भी बड़ा होने लगा। उसका नाम अजातशत्रु रखा गया। बिम्बिसार ने उसकी शि‍क्षा-दीक्षा राजकुमारों जैसी करवायी। बाद में वह बिम्बिसार के साथ युद्ध अभियानों में भी भाग लेने लगा। अजातशत्रु के नेतृत्‍व में मगध ने अंग राज्‍य जीता था और उसके कहने पर ही बिम्बिसार ने उसे अंगराज्‍य का राज्‍यपाल बना दिया। बाद में अजातशत्रु की महत्‍वाकांक्षाऍं बढ़ने लगीं। उसका फायदा देवदत्त ने उठाया। देवदत्त ब‍िम्बिसार की बौद्धधर्म को प्रश्रय देने की नीति से उसका विरोधी था। अजातशत्रु ने देवदत्त के साथ मिलकर पिता की हत्‍या का षड्यंत्र रचा, परन्‍तु वह भेद खुल गया। बिम्बिसार को जब यह पता लगा कि अजातशत्रु राजा बनना चाहता है, तो उसने स्‍वयं ही राजपाट त्‍याग दिया और अजातशत्रु राजा बन गया, परन्‍तु बिम्बिसार की नियति, तो पुत्र के द्वारा दर्दनाक मृत्‍यु की थी। इसलिए देवदत्त के उकसावे पर बिम्बिसार को बन्‍दी बना लिया गया और कारागार में उसपर कई प्रकार के अत्‍याचार किए गए तथा उसे भोजन नहीं दिया गया। अन्‍त समय में बिम्बिसार के पैरों को काटकर उसके घावों में नमक और सिरका डलवाया गया। घावों को कोयलों से जलाया भी गया। ऐसे अत्‍याचार से बिम्बिसार की दर्दनाक मृत्‍यु हुई। नियति को बदला नहीं जा सका। 
दैनिक पंचांग : दिनांक 23/07/2016 शनिवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : चतुर्थी 23:38 तक तदुपरान्त पंचमी; नक्षत्र : शतभिषा 14:38 तक तदुपरान्त पू.भा.; योग : सौभाग्य 08:55 तक तदुपरान्त शोभन; करण : बव 12:29 तक तदुपरान्त बालव 23:38; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:41 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:14 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, चतुर्थी व्रत, गुरु हरकिशन जयन्ती (नवीन मत से), लोकमान्य बाल गंगाधर जयन्ती, राष्ट्रीय शक संवत् का श्रावण मास प्रारम्भ।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 09:30 से 10:30 बजे।

दिशाशूल : पूर्व, ईशान।

शिववास : कैलास 23:38 तक तदुपरान्त वृषारुढ।

Thursday, 21 July 2016

                                           स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक

 देवभूमि भारत तपस्वियों की तपोभूमि और चामत्कारिक स्थल माना जाता है। जिस समय पृथ्वी पर देवी-देवता निवास करते थे, उस समय देवताओं के सान्निध्य में ऐसे स्थलों की खोज की गई, जो पृथ्वी के किसी न किसी रहस्य से जुड़े हुए थे अथवा जिनका सम्बन्ध दूर स्थित आकाशगंगा से था। इसी के चलते सहस्रों मन्दिर निर्मित हो गए, जिन्हें देखकर व्यक्ति आश्चर्यचकित हो जाता है। प्रत्येक मन्दिर से जुड़ी एक कहानी है, जिस पर लोग आस्था रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मन्दिर झारखण्ड के रामगढ़ नामक स्थान पर स्थित है, जहाँ शिवलिंग पर स्वतः ही जलाभिषेक होता है।
झारखण्ड को भगवान् श्रीराम के युग में दण्डकारण्य क्षेत्र कहा जाता था। यह उस समय में तपस्वियों की तपोभूमि कहा जाता था। घने जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में ऋषि-मुनियों के आश्रम थे, जहाँ देवगण आते रहते थे।
इस प्राचीन शिव मन्दिर को टूटी झरना के नाम से जाना जाता है। मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर स्वतः ही 24 घण्टे जलाभिषेक होता रहता है। इस मन्दिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है और यहाँ श्रद्धालु आते हैं।
मान्यता है कि यह जलाभिषेक कोई और नहीं बल्कि स्वयं गंगा माँ अपनी हथेलियों से करती हैं। दरअसल, इस शिवलिंग के ऊपर गंगा माँ की प्रतिमा स्थापित है, जिनकी नाभि से स्वतः ही पानी की धारा उनकी हथेलियों से होता हुआ शिवलिंग पर गिरता है। आज भी यह रहस्य ही बना हुआ है कि आखिर इस पानी का स्रोत कहाँ है?
टूटी झरना को लेकर किंवदन्ती है कि वर्षों पूर्व यहाँ रेलवे लाइन बिछाने के दौरान इस मन्दिर के बारे में लोगों को जानकारी मिली थी। पानी के लिए यहाँ खुदाई के दौरान कुछ चीजें दिखाई दीं। खुदाई के दौरान वहाँ अंग्रेज अधिकारी भी उपस्थित थे। जब खुदाई पूर्ण हुई, तो जमीन में एक शिवलिंग ऩजर आया। साथ ही माँ गंगा की प्रतिमा भी मिली, जिससे स्वतः ही जल शिवलिंग पर गिर रहा था। इस चमत्कार को देखकर अंग्रेजों की भी आँखें फटी रह गई थीं।
दैनिक पंचांग : दिनांक 22/07/2016 शुक्रवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : तृतीया 25:17 तक तदुपरान्त चतुर्थी; नक्षत्र : धनिष्ठा 15:25 तक तदुपरान्त शतभिषा; योग : आयुष्मान 11:09 तक तदुपरान्त सौभाग्य; करण : वणिज 14:01 तक तदुपरान्त विष्टि 25:17; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:40 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:14 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक, भद्रा 14:01 से 25:17 तक (निवास : पृथ्वी), सूर्य सायन सिंह में 15:00 बजे, राष्ट्रीय शक संवत् का आषाढ मास समाप्त, राजयोग सूर्योदय से 15:25 तक।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 10:30 से 12:00 बजे।

दिशाशूल : नैर्ऋत्‍य, पश्‍चिम।

शिववास : क्रीडा 25:17 तक तदुपरान्त कैलास।

Wednesday, 20 July 2016


गोस्‍वामी तुलसीदास का ज्‍योतिषग्रन्‍थ

तुलसीदास जी के ज्‍योतिषीय ज्ञान का परिचय रामचरितमानस आदि ग्रन्‍थों से प्राप्‍त होता ही है, परन्‍तु उन्‍होंने ज्‍योतिष पर एक पृथक् ग्रन्‍थ 'रामाज्ञाप्रश्‍न' की रचना की। हुआ यह कि जब तुलसीदासजी बनारस में थे, तब वे गंगाराम ज्‍योतिषी के साथ सन्‍ध्‍या करने गंगातट पर जाया करते थे। एक दिन तुलसीदासजी जब संध्‍या के लिए गंगारामजी को लेने आए, तब उन्‍होंने बड़े उदास मन से कहा कि ''मैं आज आपके साथ गंगा किनारे नहीं जा सकूंगा।'' तुलसीदासजी को उनके उदास मन से चिन्‍ता हुई और उन्‍होंने उसका कारण पूछा, तब गंगारामजी ने बताया कि ''गढ़बारवंशीय नरेश के राजकुमार  शिकार के लिए गए हुए हैं, परन्‍तु अभी तक लौटे नहीं हैं। समाचार यह भी मिला है, कि जो लोग शिकार के लिए गए थे, उनमें से एक को बाघ ने मार दिया है। राजा ने मुझे आज बुलाया था और मुझसे पूछा कि उनका पुत्र सकुशल है अथवा नहीं? तब मैंने उनसे एक दिन का समय मांगा है। राजा का कहना है कि उत्तर ठीक निकला तो पुरस्‍कार दिया जाएगा, अन्‍यथा प्राणदण्‍ड मिलेगा। मेरा ज्‍योतिष ज्ञान इतना नहीं है कि मैं निश्‍चयात्‍मक उत्तर दे सकूं। पता नहीं अब कल क्‍या होगा?''
तुलसीदासजी को गंगारामजी पर बड़ी दया आयी और उन्‍होंने थोड़ा विचार कर कहा ''आप चिन्‍ता न करें, रघुनाथजी सब मंगल करेंगे।''
तुलसीदासजी के इन वचनों को सुनकर गंगारामजी निश्चिन्‍त होकर संध्‍या करने गए। संध्‍या से लौटने पर तुलसीदासजी ने ज्‍योतिषग्रन्‍थ 'रामाज्ञाप्रश्‍न' की रचना की। उस समय उनके पास स्‍याही नहीं थी, फलतः कत्‍था घोलकर शरकण्‍डे की कलम से छह घण्‍टे में यह ग्रन्‍थ लिखकर गंगाराम जी को दे दिया।
दूसरे दिन ज्‍योतिषी गंगारामजी राजदरबार गए, वहॉं उन्‍होंने इस ग्रन्‍थ से देखकर बताया कि ''राजकुमार सकुशल हैं।''
जब तक राजकुमार घर लौटकर आया, तब तक गंगारामजी को बन्‍दी बनाकर रखा गया। राजकुमार के आने पर राजा ने गंगारामजी से क्षमा मॉंगी और बहुत धन-सम्‍पत्ति देकर ससम्‍मान विदा किया। वह धन लाकर गंगारामजी ने तुलसीदासजी के चरणों में रख दिया। तुलसीदासजी को उस धन से क्‍या करना था, परन्‍तु जब गंगारामजी ने बहुत आग्रह किया, तो उनका मान रखने के लिए दस हजार रुपए उसमें से लिए और उनसे हनूमान् जी के दस म‍ंदिरों का निर्माण करवाया। उन मंदिरों में दक्षिणाभिमुख हनूमान् जी की मूर्तियॉं हैं।
रामाज्ञाप्रश्‍न में सात सर्ग हैं और प्रत्‍येक सर्ग सात-सात सप्‍तकों में विभक्‍त है और प्रत्‍येक सप्‍तक में सात-सात दोहे हैं। इनमें मुख्‍यतः रामचरितमानस की कथा का वर्णन किया गया है। इसी के आधार पर फल निकाला जाता है। ग्रन्‍थ में ही फल निकालने की विधि बताई गई है।

दैनिक पंचांग : दिनांक 21/07/2016 गुरुवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : द्वितीया 26:41 तक तदुपरान्त तृतीया; नक्षत्र : श्रवण 15:55 तक तदुपरान्त धनिष्ठा ; योग : प्रीति 13:09 तक तदुपरान्त आयुष्मान; करण : तैतिल 15:16 तक तदुपरान्त गर 26:41; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:40 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : पंचक 27:42 से, अशून्य शयन व्रत।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मकर में (27:42) तक तदुपरान्त कुम्भ; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल : 13:30 से 15:00 बजे।
 
दिशाशूल : आग्नेय, दक्षिण।
 
शिववास : सभा (26:41) तक तदुपरान्त क्रीडा।

Tuesday, 19 July 2016

गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध पूर्वनिर्धारित है

दृष्‍टान्‍तो नैव दृष्‍टस्त्रिभुवनजठरे सद्गुरोर्ज्ञानदातुः
स्‍पर्शश्चेत्तत्र कल्‍प्‍यः स नयति यदहो स्‍वर्णतामस्‍मसारम्।
न स्‍पर्शत्‍वं  तथाऽपि श्रितचरणयुगे सद्गुरुः स्‍वीयशिष्‍ये
स्‍वीयं साम्‍यं विधत्ते भवति निरूपमस्‍तेन वाऽलौकिकोऽपि।।
सद्गुरु के समतुल्‍य त्रिभुवन में कुछ भी नहीं है। पारसमणि के अस्तित्‍व की कल्‍पना को यदि सच मान लिया जाए, तो वह भी लोहे के केवल सोना बना सकती है, दूसरी पारसमणि नहीं बना सकती, किन्‍तु सद्गुरु के चरणों में जो शिष्‍य आश्रय लेते हैं, उन्‍हें सद्गुरु अपने समान ही बना देते है, इसलिए गुरु अनुपम हैं, वरन् अलौकिक भी हैं।

गुरुपूर्णिमा पर हार्दिक शुभकामनाऍं!!

गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध न केवल पूर्व निर्धारित है, वरन्  यह पूर्वजन्‍मकालिक भी है। कई उदाहरणों में तो यह जन्‍म-जन्‍मान्‍तर का प्रतीत होता है। रानीखेत की दुर्गम पहाडियों में महावतार बाबाजी इसीलिए अपने शिष्‍य लाहड़ी महाशय का इन्‍तजार करते हैं। स्‍वामी विवेकानन्‍द जी को देखकर रामकृष्‍ण परमहंस यही कहते हैं कि तू आ गया मैं कब से इन्‍तजार कर रहा था। परमहंस योगानन्‍द जी को देखकर भी उनके गुरु युक्‍तेश्‍वर जी ने यही कहा कि ओ मेरे प्रिय तुम मेरे पास आ गए, कितने वर्षों से मैं तुम्‍हारी प्र‍तीक्षा कर रहा था। ये उदाहरण जन्‍म-जन्‍मान्‍तर या पूर्वजन्‍मकालिक गुरु-शिष्‍य सम्‍बन्‍ध के हैं।
अलवर रियासत में नाजिम रहे मुरलीधर जी वर्षों से सद्गुरु की खोज में तीर्थाटन कर रहे थे, परन्‍तु उनके गुरु उन्‍हें नहीं मिल पा रहे थे। हरिद्वार के कुम्‍भ मेले में एक परमहंस साधु मिले और उन्‍हें वे अपना गुरु बनाना चाहते थे, परन्‍तु उन परमहंस साधु ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि मैं तेरा गुरु नहीं हूं,  तेरा गुरु तेरे पास अलवर ही आएगा, तब तुझे अपना शिष्‍य बनाएगा, तुझे इधर-उधर भागने की जरूरत नहीं है। यही हुआ नियत समय के पश्‍चात् उनके गुरु अलवर ही आए और तब उन्‍होंने दीक्षा लेकर संन्‍यास ग्रहण किया। ऐसे एक नहीं, अनेक उदाहरण हैं, जो यह दर्शाते हैं कि गुरु-शिष्‍य का सम्‍बन्‍ध एक व्‍यवस्‍था के तहत पूर्वनिर्धारित है।
दैनिक पंचांग : दिनांक 20/07/2016 बुधवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : श्रावण; पक्ष : कृष्ण; तिथि : प्रतिपदा 27:45 तक तदुपरान्त द्वितीया; नक्षत्र : उ.षा.16:14 तक तदुपरान्त श्रवण; योग : विष्कम्भ 14:52 तक तदुपरान्त प्रीति; करण : बालव 16:09 तक तदुपरान्त कौलव 27:45; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:39 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : श्रावण मास (पूर्णिमान्त) प्रारम्भ, श्रावण कृष्णपक्ष (पूर्णिमान्त) प्रारम्भ, आषाढ कृष्णपक्ष (अमान्त) प्रारम्भ, कुमारयोग 16:14 से 27:45 तक, शुक्र अश्लेषा में 29:05 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : मकर; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  12:00 से 13:30 बजे।

दिशाशूल : ईशान, उत्तर।

शिववास :  गौरीपार्श्‍व (27:45) तक तदुपरान्त सभा।

Monday, 18 July 2016

ज्‍योतिर्विद्, जो मुख देकर कुण्‍डली बनाते!

शंकर बालकृष्‍ण दीक्षित ने कोल्‍हापुर के बाबाजी काशीनाथ पटवर्धन (प्रसिद्ध नाम महाड़कर) का उल्‍लेख किया है। वे व्‍यक्ति का मुख देकर कुण्‍डली बना लेते थे। उनका अभ्‍यास इतना अच्‍छा था कि जैसे ही उनके सामने कोई व्‍यक्ति पड़ता, वैसे ही वे उसकी कुण्‍डली बना लेते। सामान्‍यतः वे मुख के आधार पर ही यह कर लेते थे, परन्‍तु कभी कभी जिह्वा और हथेली भी देखते थे। ये केवल जन्‍मकालीन लग्‍न और ग्रहों की राशियॉं ही नहीं लिखते, वरन् उनके अंश भी बताते थे। शंकर बालकृष्‍ण दीक्षित ने उनका यह हुनर प्रत्‍यक्ष अनुभव किया। वे आश्‍चर्य से लिखते हैं कि राशियों के अंश बताना विशेष बात है। पटवर्धन को पिता के शरीर लक्षणों के द्वारा पुत्र की जन्‍मकुण्‍डली बनाते हुए भी देखा गया। एक बार नारायण भाई दांडेकर की मुखाकृति देखकर उन्‍होंने 15-20 मिनट में उनके गणेश नामक पुत्र की प्रायः सभी ग्रहों से युक्‍त जन्‍मकुण्‍डली दीक्षित जी के सामने बनायी। यह विधि किसी भी ग्रन्‍थ में नहीं मिलती। इस प्रकार की विद्याओं के जानकार अब भी होंगे, परन्‍तु किसी का प्रत्‍यक्ष अनुभव नहीं हुआ। ऐसे प्रतिभावान् ज्‍योतिर्विदों को लोगों के सामने लाने की आवश्‍यकता है।
दैनिक पंचांग : दिनांक 19/07/2016 मंगलवार,
विक्रम संवत् : 2073, संवत्सर : सौम्य; माह : आषाढ; पक्ष : शुक्ल; तिथि : पूर्णिमा 28:27 तक तदुपरान्त प्रतिपदा; नक्षत्र : पू.षा.15:48 तक तदुपरान्त उ.षा.; योग : वैधृति 16:14 तक तदुपरान्त विष्कम्भ; करण : विष्टि 16:37 तक तदुपरान्त बव 28:27; सूर्योदय (दिल्ली में) 05:39 बजे, सूर्यास्त (दिल्ली में) 19:15 बजे।

व्रत-पर्व : भद्रा 16:37 तक (निवास : पाताल), आषाढीपूर्णिमा, गुरुपूर्णिमा, सत्यनारायण व्रत, व्यास पूजा, मन्वादि, चतुर्मास्य सन्यासियो का, कोकिला व्रत प्रारम्भ, शिव शयन उत्सव, आषाढशुक्लपक्ष समाप्त, आषाढ मास (पूर्णिमान्त) समाप्त, राजयोग सूर्योदय से 15:48 तक, सूर्य पुष्य  में 22:08 बजे, बुध अश्लेषा  में 18:02 बजे।

ग्रह-स्थिति (05:30 बजे) : सूर्य : कर्क; चन्द्रमा : धनु में (21:54) तक तदुपरान्त मकर; मंगल : वृश्चिक; बुध : कर्क; गुरु : सिंह; शुक्र : कर्क; शनि : वृश्चिक; राहु : सिंह; केतु : कुम्भ।

राहुकाल :  15:00 से 16:30 बजे।

दिशाशूल :  वायव्य, उत्तर।

शिववास : श्मशान (28:27) तक तदुपरान्त गौरीपार्श्‍व।

Saturday, 16 July 2016

वराहमिहिर की वह भविष्‍यवाणी ... ...

प्रसिद्ध ज्योतिषी वराहमिहिर महाराजा विक्रमादित्य के राज-ज्योतिषी थे। राजा के पुत्र की जन्मपत्रिका उनके द्वारा बनाई गई तथा अन्य ज्योतिषियों द्वारा भी ज्योतिषीय गणना की विविध पद्धतियों द्वारा जन्मपत्रिका बनाकर घोषणा की गई। सभी के द्वारा राजकुमार के लिए 18वाँ वर्ष संकटपूर्ण घोषित कर दिया गया। वराहमिहिर जो सूर्य भगवान् के भक्त थे, उन्हें वाक्सिद्धि प्राप्त थी, दिव्य दृष्टि भी दैवकृपा से उनके पास थी, के द्वारा निर्भीकतापूर्वक स्पष्टता के साथ फलादेश दिया गया कि राजकुमार की हत्या शूकर द्वारा निश्चित समय तथा दिन को होगी। उनके द्वारा यह भी कहा गया कि कोई भी उपाय इस मृत्यु से राजकुमार को बचाने में सहायक नहीं हो सकता। यह दुर्घटना अपरिवर्तनीय है। सभी प्रकार के सुरक्षा के उपाय किए जाने पर भी राजकुमार के प्राण नहीं बचाए जा सकते।
निश्चित दिन आने पर राजा द्वारा राजकुमार की सुरक्षा के लिए जितने उपाय सम्भव थे, किए गए। सभी जन इस भविष्यवाणी के विषय में जानने को उत्सुक थे। राजा अपने दरबार में थे। उन्होंने बार-बार वराहमिहिर से अपनी गणना के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने के लिए कहा। राजा आश्वस्त थे कि इतनी सुरक्षा करने पर कोई भी जंगली शूकर राजकुमार के महल तक नहीं पहुँच सकता। राजकुमार की पल-पल की सूचना प्राप्त करने के लिए सेवक नियुक्त किए गए। राजकुमार अपने महल की सबसे ऊपर की मंजिल पर अपने मित्रों के साथ कक्ष में पूर्ण सुरक्षित थे। महल में पहरा इतना था कि किसी प्रकार भी परिन्दा पर तक नहीं मार सके। राजा द्वारा घोषणा की गई कि भविष्णवाणी सिद्ध होने पर राज्य का सर्वोच्च सम्मान वराहमिहिर को प्रदान किया जाएगा।
जैसे-जैसे समय निकट आता गया, सन्नाटा छाता गया। प्रजाजन बड़ी उत्सुकता के साथ सूचना की प्रतीक्षा में थे। राजा द्वारा बार-बार पूछने पर वराहमिहिर द्वारा कहा गया कि राजकुमार के द्वारा पूर्वजन्म के पापकर्म के परिणामस्वरूप जन्मकालीन ग्रह-स्थिति द्वारा सूचित यह दण्ड है। किसी भी उपाय से इस दण्ड को समाप्त नहीं किया जा सकता। इसे तो भोगना ही पड़ेगा।
थोड़ी-थोड़ी देर में लगातार राजा को राजकुमार की सुरक्षा के सम्बन्ध में सूचना देने का सैनिकों को आदेश था। जैसे ही निश्चित समय बीता, सैनिक ने राजा को राजकुमार के सुरक्षित होने की सूचना दी। कुछ समय पश्चात् दूसरा सैनिक भी वही समाचार लाया, परन्तु वराहमिहिर इस समाचार से सहमत नहीं थे। उन्होंने बड़े शान्त चित्त से महाराजा से कहा कि निश्चित समय पर राजकुमार की मृत्यु हो चुकी है। अच्छा यही होगा कि चलकर सत्यापन कर लिया जाए। इतने पर भी अन्य सैनिकों ने भी राजकुमार की कुशलता दी।
यहाँ राजा को फलादेश पर संशय हुआ। उन्होंने वराहमिहिर को पुनः गणना करने के लिए कहा, परन्तु मिहिर अपनी भविष्यवाणी पर अड़िग थे। उन्होंने साहस के साथ कहा कि राजकुमार की मृत्यु हो चुकी है। वह खून से लथपथ पड़े हुए हैं। सम्भवतः पहरेदारों तथा सहचरों का इस पर ध्यान नहीं गया है। उन्होंने महाराजा को प्रेरित किया कि वे स्वयं जाकर स्थिति का अवलोकन करें।
महाराजा स्वयं कुछ विशेष अधिकारियों सहित महल की सबसे ऊपरी मंजिल पर पहुँचे। राजकुमार के सहचर खेलने में पूर्ण रूप से तल्लीन थे। उन्हें महाराजा के आने का भी पता नहीं चला। पूछने पर ज्ञात हुआ कि राजकुमार उन्हीं के साथ खेल रहे थे। कुछ ही क्षण पूर्व खुले बरामदे में गए हैं।
सभी लोग बरामदे में पहुँचे। भयावह दृश्य देखकर सभी लोग काँप गए। राजकुमार खून से लथपथ मृत पड़े थे। देखा गया कि राजकुमार के शरीर पर शिल्पकार द्वारा निर्मित शूकर की मूर्ति के पंजे के घाव थे। राजकुमार के पूर्वजन्म के आधार ग्रहों द्वारा सूचित भविष्यफल कथन सत्य हुआ।
जब उक्त स्थान का निर्माण किया गया था, तब शिल्पकार ने एक स्तम्भ पर लोहे और चूने से बना एक शूकर राजमहल के शिखर पर लगाया था। किसी को भी यह ध्यान में नहीं आया कि यही एक दिन राजकुमार की मृत्यु का कारण बनेगा। राजकुमार को उसी निश्चित समय के लगभग व्याकुलता हुई और वह स्वच्छ वायु लेने बाहर गए। निश्चित समय हवा का तीव्र झोंका आया, जिसने खम्भे को दो हिस्सों में तोड़ दिया और शूकर सीधा राजकुमार की छाती पर जा गिरा। घाव इतना गहरा था कि अत्यधिक रक्तस्राव के कारण राजकुमार की मृत्यु हो गई।