Saturday 19 March 2016

Holi 2016 Muhurta

होलिका दहन 23 मार्च, 2016 को प्रदोषकाल में


इस बार फाल्‍गुन पूर्णिमा 22 मार्च, 2016 (मंगलवार) को 15:13 बजे से आरम्‍भ हो रही है और दूसरे दिन 23 मार्च, 2016 (बुधवार) को 17:31 बजे तक है। जहॉं तक भद्रा का प्रश्‍न है, तो वह 22 मार्च को 15:13 से 28:20 तक रहेगी अर्थात् अर्धरात्रि के पश्‍चात् भद्रा समाप्‍त होगी। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा प्रदोष व्‍यापिनी केवल 22 मार्च को है, परन्‍तु दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़ेतीन प्रहर से अधिक है। ऐसी स्थिति में होलिका दहन के  तीन विकल्‍प सामने आते हैं :

विकल्‍प 1 : भद्रा के उपरान्‍त होलिका दहन अर्थात् 22 मार्च को 28:20 के पश्‍चात् होलिका दहन

विकल्‍प 2 : भद्रामुख को छोड़कर 22 मार्च को प्रदोषकाल में ही होलिका दहन।
तीसरे विकल्‍प पर जाने से पूर्व उक्‍त विकल्‍पों की इस बार की परिस्थिति में लागू किए जाने अथवा न किए जाने की शास्‍त्रीय व्‍यवस्‍था का अवलोकन करना चाहेंगे। इस बार की परिस्थिति में उक्‍त दोनों ही विकल्‍प मान्‍य नहीं हैं, इस सम्‍बन्‍ध में शास्‍त्रीय व्‍यवस्‍था निम्‍नानुसार है :

1. भविष्‍योत्तर पुराण का स्‍पष्‍ट निर्देश है कि यदि भद्रा अर्धरात्रि के पश्‍चात् समाप्‍त होती है और दूसरे तीन पूर्णिमा साढ़ेतीन प्रहर या उससे अधिक है, तो दूसरे दिन होलिका दहन किया जाता है :

सार्धयामत्रयं वा स्‍यात् द्वितीये दिवसे यदा।
प्रतिपद् वर्धमाना तु तदा सा होलिका स्‍मृता।।

 
इस प्रकार इस बार की विशेष परिस्थिति में भविष्‍योत्तर पुराणोक्‍त उक्‍त नियम लागू होना चाहिए।
2. चूंकि भद्रा अर्धरात्रि के पश्‍चात् समाप्‍त हो रही है, तो ऐसी स्थिति में विकल्‍प एक अमान्‍य है, क्‍योंकि उस परिस्थिति के लिए धर्मसिन्‍धु का स्‍पष्‍ट निर्णय है कि :

निशीथोत्तरं भद्रासमाप्‍तौ भद्रामुखंत्‍यक्‍त्‍वा भद्रायामेव।
अर्थात् अर्धरात्रि के पश्‍चात् भद्रा समाप्ति की स्थिति में भद्रामुख को छोड़क र भद्रा में ही होलिका दहन किया जाता है।

3. विकल्‍प दो अर्थात् भद्रामुख को छोड़कर भद्रा में ही होलिका दहन पूर्वोक्‍त भविष्‍योत्तर पुराण की व्‍यवस्‍था से अमान्‍य होता है।

विकल्‍प 3 : अब विकल्‍प तीन पर आते हैं, जो कि भविष्‍योत्तर पुराण पर आधारित है। इसके अनुसार होलिका दहन 23 मार्च 2016 को किया जाना चाहिए। अब प्रश्‍न उठता है कि 23 मार्च को होलिका दहन कब किया जाए? इस सम्‍बन्‍ध में शास्‍त्रीय व्‍यवस्‍था है कि प्रदोषकाल में होलिका दहन किया जाए, परन्‍तु इस पर एक शंका यह हो सकती है कि 23 मार्च को प्रदोषकाल में पूर्णिमा न होकर प्रतिपदा होगी और नारद के निम्‍नलिखित वचन में प्रतिपदा को होलिका दहन का निषेध कहा गया है :

प्रतिपद्भूतभद्रासु यार्चिता होलिका दिवा।
संवत्‍सरं च तद्राष्‍ट्रं पुरं दहति सा द्रुतम्।।

 
इसलिए कतिपय विद्वान् पूर्णिमा के अन्तिम भाग 17:00  से 17:31  के मध्‍य होलिका दहन का विकल्‍प प्रस्‍तुत करते हैं और कहते हैं कि इससे नारद के उक्‍त वचन की पूर्णतः पालना है, परन्‍तु संवत् 2072 जैसी विशेष परिस्थितियों के लिए स्‍मृतिकौस्‍तुभ एवं जयसिंहकल्‍पद्रुम आदि निबन्‍ध ग्रन्‍थों में स्‍पष्‍ट व्‍यवस्‍था दी गई है कि यदि भद्रा अर्धरात्रि के पश्‍चात् समाप्‍त होती है और दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़ेतीन प्रहर या उससे अधिक है, तो दूसरे दिन प्रदोषकाल में प्रतिपदा में ही होलिका दहन किया जाना चाहिए :
परदिने प्रदोषस्‍पर्शभावे पूर्वदिने प्रदोषे भद्रासत्त्‍वे तु यदि पौर्णमासी परदिने सार्धयामा ततोऽधिका वा तत्‍परदिने प्रतिपच्‍च  वृद्धिगामिनी तदा पूर्वदिनं परित्‍यज्‍य परदिने प्रदोषव्‍यापिन्‍यां प्रतिपद्येव होलिका पूज्‍या। (स्‍मृतिकौस्‍तुभ, पृष्‍ठ 517)

यदा त्‍वस्मिन्‍नेव दिनविषये उत्तरपौर्णमासी सार्धयामत्रयमिता ततोऽधिका वा प्रतिपच्‍चोत्तरदिने वृद्धिगामिनी तदा पौर्णमस्‍युत्‍तरप्रतिपत्‍प्रदोष एव होलिकादीपनं कार्ये न तु पूर्वरात्रौ विष्टिपुच्‍छे। (जयसिंहकल्‍पद्रुम, पृष्‍ठ 722)

उक्‍त प्रमाण वाक्‍यों से पहले दो विकल्‍प भी अमान्‍य हो रहे हैं। इस प्रकार निष्‍कर्ष रूप में इस बार की होलिका दहन की शास्‍त्रीय व्‍यवस्‍था यही है कि होलिका दहन 23 मार्च, 2016 बुधवार को प्रदोषकाल में किया जाना चाहिए।

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